मार्कंडेय ऋषि कैसे हुए अल्पायु से दीर्घायु जानिए संत श्री रामबालक दास जी से
ज्ञान एवं धर्म विषयक सत्संग का आयोजन बालयोगेश्वर संत राम बालक दास जी के द्वारा उनके ऑनलाइन व्हाट्सएप ग्रुपों में प्रतिदिन किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपने विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं और जिनके समाधान से सभी की ज्ञान में वृद्धि होती है
आज 7 मई की ऑनलाइन सत्संग परिचर्चा में रामफल जी ने मार्कंडेय ऋषि के चरित्र पर जिज्ञासा व्यक्त की उनके चरित्र के विषय में बताते हुए संत श्री ने बताया कि कहते हैं कि जिन्हें सर्वप्रथम अमृतत्व प्राप्त हुई वे मार्कंडेय ऋषि है उनके कारण ही महामृत्युंजय मंत्र की महिमा प्रकट हुई जब उन्हें यमराज ने अपने पाश में बांधना चाहा तो भगवान शिव स्वयं प्रकट होकर यमराज को दंडित किए मार्कंडेय ऋषि की कथा आती है कि उन्हें शिवजी के द्वारा वरदान प्राप्त थे परंतु अल्पायु थे जिनकी मृत्यु 12 वर्ष की अवस्था में हो जानी थी यह मृकण्डु व उनकी पत्नी के द्वारा शिवजी की घोर तपस्या पर उन्हें प्राप्त हुए थे, उनके माता-पिता ने उन्हें बहुत अच्छे संस्कार प्रदान किए थे जब वे 11 वर्ष 11 महीने और 29 दिन के थे और उनके जीवन का मात्र 1 दिन ही शेष था तब नारद ऋषि का आश्रम में आगमन हुआ जिन्हें देखकर दौड़कर ऋषि मार्कंडेय ने उन्हें साष्टांग दंडवत प्रणाम किया जिससे प्रसन्न होकर ऋषि जी ने उन्हें शतायु होने का वरदान दिया तब माता ने उन्हें मार्कण्डेय के अल्पायु होने का बोध कराया नारदजी उन्हें ब्रह्मलोक लेकर गए,वहां भी मार्कण्डेय ने ब्रह्मा जी को देखकर दौड़ कर उन्हें साष्टांग दंडवत प्रणाम किया ब्रह्मा जी भी प्रसन्न होकर उनको जुग जुग जियो वरदान दिए तब ब्रह्माजी भी असमंजस में पड़ गए और उन्हें विष्णु जी के समक्ष लेकर गए वहां भी उन्होंने विष्णु जी के चरण स्पर्श कर प्रणाम किया विष्णु जी भी प्रसन्न होकर उन्हें दीर्घायु होने का आशीर्वाद देये अब पूरे ब्रह्मांड में समस्या थी की विधि के विधान का क्या होगा तब सभी देवी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे क्योंकि वही थे जो भावी को बदल सकते थे भगवान शिव ने कहा कोई बात नहीं दीर्घायु शतायु एवं जुग जुग जियो का आशीर्वाद प्राप्त कर यह बालक अवश्य ही अमर होगा आज का एक दिन ये अपना जियेगा और कल का एक दिन वह मेरा जियेगा, शिव जी का 1 दिन चार युगों अर्थात कलयुग सतयुग द्वापर युग और त्रेता युग को को मिलाकर चतुर्युग बनता है और 100 चतुर्युग को मिलाकर एक कल्प बनता है तब भगवान विष्णु जी करवट लेते हैं अर्थात उनका एक दिन होता है और इन्ही हजार कल्पों को मिलाकर शिव भोले का 1 दिन होता है तो यह युगो युगो कल्पों तक जीवन का वरदान उस बालक को प्राप्त हुआ और केवल और केवल मां के आशीर्वाद और उनके संस्कारों के कारण ही ये हुआ
इसीलिए आप भी अपने बच्चों को सभी को प्रणाम करना जय सियाराम कहना राधे कृष्ण कहना और वंदे मातरम कहने की आदत डलवाए हलो हाय बाय नही
रिपोर्ट //नरेन्द्र विश्वकर्मा