पांडव पांच नहीं छह भाई थे जानिए कौन कौन थे ऑनलाइन सत्संग से राम बालक दास जी का उद्बोधन
पांडव पांच नहीं छह भाई थे जानिए कौन कौन थे ऑनलाइन सत्संग से राम बालक दास जी का उद्बोधन
प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में पाटेश्वर धाम के महान संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे किया गया, जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कीये
आज के सत्संग परिचर्चा में प्रतिदिन की भांति ऋचा बहन के द्वारा मीठा मोती का प्रसारण किया गया जिसमें उन्होंने संदेश दिया कि "याद रहे यह संसार एक नाटक शाला है हमें अपने लिए स्वयं कर्म का बीज बोना है कोई भी हमारे लिए कर्म नहीं कर सकता " इस पर बाबा जी ने भाव रखते हुए कहा कि सत्य है क्योंकि अभी ने स्वयं को ही करना होता है उसका प्रशिक्षण हम प्राप्त कर सकते हैं परंतु जो भी कुछ अभिनय प्रस्तुत करना है वह स्वयं ही करना होता है उसी प्रकार कर्म भी हमें ही करने होंगे इसके लिए माता-पिता संस्कार दे सकते हैं बड़े रास्ता बता सकते हैं संत मार्गदर्शन दे सकते हैं लेकिन कर्म तो हमें ही करना है
सत्संग परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए रामफल जी ने महाभारत से जिज्ञासा रखी की,कहते हैं पांच भाइयों के बारे में युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल सहदेव इनमें से नकुल को पांडु का पुत्र कहते हैं गुरुदेव लेकिन ये चारों भाई किसके पुत्र हैं इस पर प्रकाश डालने की कृपा हो गुरुदेव, इस विषय को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि पांचो पांडव ही पांडु के औरस पुत्र नहीं है वे उनके मानस पुत्र है क्योंकि वे उनकी पत्नियों से प्राप्त थे,कथा है कि माता कुंती ने दुर्वासा ऋषि की सेवा की थी तब और माता कुंती ने 5 गुण वाले पुत्रों को प्राप्त करने की विनती दुर्वासा ऋषि से की इस पर दुर्वासा ऋषि ने विचार किया कि कुंती को इंद्र के समान प्रशासक वायु जैसा बलवान सूर्य जैसा तेजस्वी धर्मराज जैसा धार्मिक पुत्र चाहिए था वह एक ही में गुण होना असंभव था तब दुर्वासा ऋषि ने ऐसा मंत्र दिया जिसके आह्वान से वह इन गुणों से युक्त देवताओं का आह्वान जब भी करेगी उससे उन्हें पुत्र प्राप्त होगा, इधर पांडु को श्राप मिला हुआ था कि वह अपनी पत्नी माद्री व कुंती से संतान उत्पन्न नहीं कर सकते थे, कुंती ने इस मंत्र के परीक्षण हेतु विवाह पूर्व ही सूर्य नारायण का आह्वान किया जिसके आह्वान से उन्हें सूर्यनारायण ने पुत्र प्रदान किया जिसका नाम था करण, परन्तु विवाह पूर्व होने के कारण कुंती ने उन्हें ग्रहण नहीं किया और सूर्य नारायण के पुत्र होने के कारण कर्ण को अनेक वरदान भी प्राप्त हुए और माता कुंती को भी हमेशा कौमारी रहने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था इसीलिए पंच कुमारीओं में कुंती माता भी एक नाम है, विवाह पश्चात कुंती व माद्री ने देवताओं का आह्वान कर के पांच पांडव को जन्म दिया धर्मराज से युधिष्ठिर वायु से भीम, इंद्र से अर्जुन, अश्विनी कुमारों से नकुल सहदेव सूर्य देव से कर्ण इस प्रकार से छह पांडव हुए
वर्तमान में हम कृत्रिम गर्भधारण एवं टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीकी को देखते हैं,लेकिन आदि अनादि समय से ही हमारा हिंदू धर्म इतना समृद्ध था कि ऋषि देवताओं में यह क्षमता पूर्व से ही थी, जिस प्रकार कुंती ने मंत्र मात्र से ही गर्भ धारण किया जो कि कृत्रिम रूप ही था, 100 कौरवों को भी गर्भ के बाहर कृत्रिम गर्भधारण रूप में रखा गया था, आज विभिन्न अविष्कारों में वायु विमान बड़ी उपलब्धि है लेकिन हमारे प्राचीन काल में ही पुष्पक विमान था बड़े-बड़े अस्त्र-शस्त्र पूर्व में ही विद्यमान थे भगवान राम के पास तो ऐसा बाण था जो कि समुद्र को शोख सकता था आज वैज्ञानिक कुछ हथियार बना लेते हैं और सोचते हैं कि हम विकास कर रहे हैं, शल्य चिकित्सा वाणिज्य अंतरिक्ष ज्योतिष खगोल विज्ञान सभी क्षेत्रों में हमारे पास आदि अनादि काल से ही विभिन्न पद्धतियों का ज्ञान रहा है जो कि हमारे ऋषि-मुनियों ने हमारे शास्त्रों में भी उल्लेखित किया है
कैलाशी शत्रुहन लाल वर्मा जी ने, बाबा जी से जिज्ञासा रखते हुए छिर सागर पर चर्चा की
छिर सागर किसे कहा जाता है यह कहां स्थित है, बाबा जी ने बताया कि वेद शास्त्र के हिसाब से छीर सागर ब्रह्मांड में अंतिम छोर पर है कभी-कभी कहा जाता है कि अलग-अलग लोक होते हैं उन्हीं लोको में गोलोक हैं और वो लोक जहां पर सहस्त्र कोटि-कोटि गौ माता के मध्य में कृष्ण जी वास करते हैं वहीं गौ माता के दूध से नित्य अप्लावित होने वाला छीर सागर हैँ कहा जाता है कि छिर सागर ही वह समुद्र है जिसका अंश सभी जीवो पर बरसता है हमारे धन्य धान पर बरसता है इसकी जिम्मेदारी होती है इंद्र पर छीर सागर के बरसात से ही सृष्टि का पालन होता है इसीलिए भगवान कृष्ण को ही पालन कर्ता, कहा जाता है जो अच्छी आत्माएं जिन्हें हम कहते हैं की मोक्ष प्राप्त किया भगवत गति को प्राप्त किया वे छीर सागर में ही होती है तब भगवान विष्णु उन्हें श्रीमंत व श्रीमान लोगों के घर में जन्म देते हैं
इस प्रकार आज का अद्भुत सत्संग परिपूर्ण हुआ
नरेन्द्र विश्वकर्मा मो.7028149519