अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान स्थगित, पद बचाने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर लेकर आई अध्यक्ष

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान स्थगित, पद बचाने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर लेकर आई अध्यक्ष
अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान स्थगित, पद बचाने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर लेकर आई अध्यक्ष

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान स्थगित, पद बचाने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर लेकर आई अध्यक्ष

बालोद / गुरुर/गुरुर नगर पंचायत की अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के • खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर 11 मार्च को मतदान होना था। लेकिन ऐन वक्त पर टिकेश्वरी साहू यह मतदान टालने में कामयाब हो गईं। क्योंकि उन्होंने हाईकोर्ट के जरिए इस मामले में स्थगन आदेश ले आई। अब संबंधित पार्षद जो शिकायत किए थे उन्हें हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखना होगा। जिसके बाद आगे फिर अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मतदान होगा या नहीं, तय हो पाएगा। हाई कोर्ट के जरिए इस स्थगन आदेश के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। तो वही जन चर्चा यह भी हो रही है कि टिकेश्वरी साहू खुद कांग्रेस समर्थित नेत्री हैं। इसके बावजूद कई कांग्रेस समर्थित पार्षद ही उनके खिलाफ होकर क्यों अविश्वास प्रस्ताव लाने पर तुले हुए हैं। उन पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। आरोपों पर टिकेश्वरी साहू का कहना है कि पार्षदगण द्वारा मेरे ऊपर अविश्वास प्रस्ताव में जो आरोप लगाए गए हैं वह सभी निराधार और असत्य है। मुझ पर राजनीतिक षड्यंत्र के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ से अविश्वास प्रस्ताव पर स्थगन लेकर सत्य की विजय हुई है। मुझे उम्मीद है कि आगे भी जीत मेरी ही होगी।

 इन्होंने किया है हस्ताक्षर

 अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले 13 पार्षदों में नगर पंचायत के उपाध्यक्ष प्रमोद सोनवानी, चिंता राम साहू, ललिता जामडार, अनुसुईया ध्रुव, कुंती बाई, चंद्रलता साहू, मुकेश साहू, भूपेश कुमार लोहले, जितेंद्र कुमार ढीमर, जितेश्वरी निषाद, शोभित राम ओझा, महिमा रेणु, खलानंद साहू शामिल है।

 इस तरह के लगे हैं आरोप

 पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के लिए दिए गए आवेदन में आरोप लगाया गया है कि अध्यक्ष की कार्यप्रणाली से वे नाराज हैं। प्लेसमेंट में सुपरवाइजर पद पर कार्यरत अध्यक्ष पति द्वारा मनमानी की जाती है। पूर्व स्वीकृत पीएम आवास का निर्माण अध्यक्ष बनने के पश्चात शुरू कराया गया। जबकि नैतिकता के आधार पर आवास किसी गरीब को आवंटित करना था। पंचायत क्षेत्र में विकास कार्य के लिए चर्चा में बैठक को नजरअंदाज किया जाता है। पद प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते किसी भी विकास कार्य को प्राथमिकता से कराने में अध्यक्ष के द्वारा रुचि नहीं ली जाती है। जिससे नगर के कई विकास कार्य रुके हुए हैं।

रिपोर्ट-अरुण उपाध्याय बालोद