वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटीजन्स) को दी गई क़ानूनी जानकारी पेंशन दारान भवन गुरुर में आयोजित की गई ,

वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटीजन्स) को दी गई क़ानूनी जानकारी पेंशन दारान भवन गुरुर में आयोजित की गई ,

वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटीजन्स) को दी गई क़ानूनी जानकारी पेंशन दारान भवन गुरुर में आयोजित की गई ,

विधिक जागरूकता शिविर वरिष्ठ नागरिको ने जाना भरण पोषण एवम कल्याण अधिनियम की बारीकियों को जाना

  

बालोद गुरुर :- घरेलू हिंसा, आपसी मतभेद और संपत्ति विवाद में बुजुर्गों से मारपीट जैसे मामलों से बुजुर्गों को उनका हक दिलाने के लिए, मातापिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण व कल्याण अधिनियम 2007 में प्रावधान किए गए हैं। जिनकी जानकारी थाना प्रभारी रोहित मालेकर द्वारा पेशन दारान भवन गुरुर में शिविर का आयोजन कर वरिष्ठ नागरिकों को दी गई।। 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति सीनियर सिटीजन की श्रेणी में आते है। वर्तमान परिवेश में सीनियर सिटीजन के विरुद्ध आपराधिक घटनाये बढ़ी है ,इसलिए इस अधिनियम की आवश्यकता हुई है। यह एक्ट सीनियर सिटीजन को मेंटेनेंस,मेडिकल फसीलिटीस ,लाइफ और प्रॉपर्टी को प्रोटेक्ट करने का अधिकार देता है। जो सीनियर सिटीजन अपने आपको मेंटेन नही कर सकते, पेरेंट्स को बेटर मेडिकल फेसिलिटी देने, फिसिकल असॉल्ट ,मेंटल हरासमेंट व संपत्ति की सुरक्षा ,प्रत्येक जिले में एक ओल्ड एज होम बनाये जाने का प्रावधान यह एक्ट करता है। सीनियर सिटीजन की सुनवाई हेतु यह एक्ट ट्रिब्यूनल की व्यवस्था करता है। जो कि सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के अधीन काम करता है। वरिष्ठ नागरिको के शिकायतों के निराकरण के लिए इस अधिनियम में ट्रिब्यूनल की व्यवस्था की गई।है ,जहां पर वरिष्ट नागरिको के सिविल मामलों की सुनवाई की जाती है ।सब डिवीसीनल मजिस्ट्रेट इसके प्रमुख होते है।जो कि 10 हजार तक का खर्च पीड़ित को दिलाने का अधिकार रखते है। आपराधिक प्रकरणों की रिपोर्ट संबंधित थाने मे की जा सकती है। पेंशन दारान चूंकि शासकीय सेवा से सेवा निवृत्त हुए है ,अतः ग्राम स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों तक इस अधिनियम के प्रावधानों को प्रसारित करने हेतु सभी से आग्रह किया ।कार्यक्रम में पेंशन दारान समाज के अध्यक्ष नेम सिंह साहू, कार्यकारी अध्यक्ष-नारायण सिंह गंधर्व, सचिव रामदयाल साहू,संगठक -बी आर दीवान एवम लगभग 50 -60, वरिष्ठ नागरिकों ने हिस्सा लिया ,और वरिष्ट नागरिकों के कल्याण के लिए बनाए गए कानून को जाना और समझा।

रिपोर्ट :- अरूण उपाध्याय बालोद