देखिए बेलतरा विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड और जनता का मूड मीटर #Beltara_31

देखिए बेलतरा विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड और जनता का मूड मीटर #Beltara_31
देखिए बेलतरा विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड और जनता का मूड मीटर #Beltara_31

देखिए बेलतरा विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड और जनता का मूड मीटर #Beltara_31

बिलासपुर। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है न्यायधानी बिलासपुर शहर से लगे बेलतरा विधानसभा क्षेत्र की - वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई इस सीट पर वर्तमान में भाजपा के रजनीश कुमार सिंह विधायक है। मुद्दों के साथ साथ इस सीट के जाति समीकरण भी नतीजों को खास प्रभावित करते हैं और आने वाले चुनाव में यहां से उसकी जीत संभावना कहीं ज्यादा होगी जो जाति समीकरण को साध पाएगा। एक समय में बेलतरा विधानसभा की राजनीति बीजेपी के कद्दावर नेता स्व. बद्रीधर दीवान के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रहे स्व.बद्रीधर दीवान (भाजपा) तीन बार बेलतरा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किये, लेकिन उनके बाद 2018 विधानसभा चुनाव के राज्य सत्ता बदल आंधी भी भाजपा को डिगा न पाई और रजनीश कुमार सिंह ने भाजपा का गढ़ बेलतरा बचा लिया जबकि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए बेलतरा विधानसभा को कोटा और बिल्हा ब्लॉक के कुछ क्षेत्रों को लेकर बनाया गया है, इसमें बिलासपुर शहर के सात वार्ड और तीन बड़ी ग्राम पंचायतें, मंगला, लिंगियाडीह और मोपका भी शामिल है। इसके अलावा बेलतरा में नेवसा, और गिधौरी जैसे आदिवासी गांव, जबकि राजकिशोर नगर और गंगानगर जैसे पॉश एरिया भी आते हैं। इस सीट की सियासी इतिहास की बात करें तो 2003 तक इसका नाम सीपत विधानसभा क्षेत्र था। लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद इसका नाम बेलतरा हो गया और नई सीट पर पहली बाजी बीजेपी ने जीती। इस चुनाव में बद्रीधर दीवान ने कांग्रेस के भुनेश्वर यादव को शिकस्त दी। इसके बाद 2013 में भी दोनों नेताओं में भिडंत हुई जिसमें बद्रीधर दीवान ने कांग्रेस के भुनेश्वर यादव को हराकर सीट पर कब्जा किया। वहीं 2018 में इस सीट पर बीजेपी से रजनीश सिंह, कांग्रेस से राजेंद्र साहू और जोगी कांग्रेस से अनिल कुमार मैदान में थे , बीजेपी के रजनीश कुमार सिंह ने कांग्रेस के राजेंद्र साहू को 6259 मतों के अंतर से हराया। 2 लाख 11 हजार 408 मतदाता वाले इस विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो ब्राह्मण प्रत्याशी को हाथों-हाथ लिया जाता रहा है, लेकिन अब यह परिपाटी बदल रही है और दूसरे समाज को भी यहां अवसर दिया जाने लगा है। यहां 15 से 20 प्रतिशत ब्राह्मण, ठाकुर मतदाताओं के अलावा साहू, कुर्मी और दूसरे पिछड़े वर्ग सहित सतनामी, आदिवासी वर्ग के मतदाताओं की बड़ी संख्या है जो लगभग 80 से 85 प्रतिशत तक हैं, लेकिन वे एकजुट नहीं है जिसका फायदा यहां ब्राह्मण - ठाकुर उम्मीदवार को हर चुनाव में मिलता रहा है। बेलतरा जब सीपत सीट हुआ करती थी तो मध्यप्रदेश के समय में एक बार यहां से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रामेश्वर खरे भी जीते थे, लेकिन परिसीमन के बाद जब इसमें शहर के सात वार्ड जोड़ दिए गए तो यह सीट शहरी प्रभाव वाली हो गई। शहरी इलाकों में अन्य समाज के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं तो कुल मिलाकर बीजेपी, कांग्रेस या फिर बीएसपी, जिसने इस जाति समीकरण को साध लिया, वहीं यहां से सियासत की जंग जीतेगा। बेलतरा प्रदेश की उन सीटों में से एक है जहां दोनों ही दलों की भी खासी दिलचस्पी रही है। वैसे इस सीट से टिकट की दावेदारी के लिए बीजेपी-कांग्रेस, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में फौज खड़ी है। यह बिलासपुर जिले की ऐसी सीट है, जहां सभी पार्टियों में टिकट के लिए टकराव होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है सीट का सामान्य होना। शहरी और ग्रामीण परिवेश वाली इस सीट पर शहरी दावेदार भी हैं और ग्रामीण नेता भी टिकट के लिए जोर लगाते हैं। बीजेपी की बात की जाए तो सिटिंग एमएलए रजनीश कुमार सिंह के अलावा दावेदारों की लम्बी कतार है जिसमें दावेदार के तौर पर सुशांत शुक्ला का नाम भी सामने आ रहा है। वहीं महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय को भी सीट का दावेदार माना जा रहा है। इसके अलावा राजा पांडे, प्रफुल्ल शर्मा, उमेश गौरहा और द्वारिकेश पांडेय का नाम भी प्रमुखता से सामने आ रहा है। वहीं वो कांग्रेस ही क्या जहां दावेदारों की बड़ी कतार न हो। बेलतरा में कांग्रेस का मिजाज कुछ ज्यादा मुखर होकर दिखता है। जहाँ 2018 में चुनाव हारने वाले राजेन्द्र साहु, 2003 में चुनाव हारने वाले रमेश कौशिक भी यहां बड़े दावेदार हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेता अजय सिंह और सत्येन्द्र कौशिक भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं। सीपत के पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश वाजपेयी और अरुण तिवारी भी कतार में लगे हैं। कांग्रेस से दो बार चुनाव लड़ चुके भुनेश्वर यादव एक बार फिर अपनी दावेदारी बता रहे हैं। वहीं कई स्थानीय नेता भी यहां टिकट के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। इन सभी के मध्य सर्वे में एक ऐसा नाम भी उभर कर आ रहा है जो राजनैतिक पंडितों के नींद हराम कर सकती है क्योंकि सर्वे में इन्हें आम मतदाताओं द्वारा दावेदार के रूप प्रस्तुत किया जा रहा है हालांकि जिनका नाम सामने आ रहा है वे अब तक विधानसभा चुनाव लड़ने के संबंध मुखर होकर स्थिति स्पष्ट नहीं किए हैं, वह नाम है वरिष्ठ समाजसेवी क्रांति साहु का जोकि साहु समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी होने के साथ एससी,एसटी ओबीसी वर्ग के अपाक्स सहित विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व कर लोगों के हितों की लड़ाई लड़ते रहे है। वहीं सूत्रों की माने तो प्रदेश कांग्रेस के शिर्ष नेतृत्व भी क्रांति साहु को अवसर देने पर विचार कर रही है ताकि सभी वर्गों के साथ इनके तालमेल का लाभ लिया जा सके और भाजपा के अभेद्य किला बेलतरा पर कांग्रेस अपना विजय परचम लहरा सके। बीजेपी-कांग्रेस में जहां टिकट के लिए घमासान मचना तय है। वहीं कांग्रेस से अलग होकर पिछली बार चुनावी मैदान में उतरने वाले जेसीसीजे के अनिल टाह भी दुबारा मौके के तलाश में है। कुल मिलाकर बेलतरा में सियासत का टॉप गेयर लग चुका है और हर कोई अपना एक्सीलेरेटर बढ़ा कर आगे निकल जाना चाहता है, और ये दौड़ पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह चल रही है। आने वाले चुनाव में बेलतरा में एक नहीं बल्कि कई मुद्दे गूंजने वाले हैं। शहरी और ग्रामीण परिवेश वाली इस विधानसभा सीट पर समस्याएं भी अलग-अलग है। शहरी इलाकों में जहां सड़कें खस्ताहाल हैं और पानी निकासी का साधन नहीं है। वहीं ग्रामीण इलाकों में बिजली, पानी और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कई इलाकों में सड़कें इतनी बदहाल हैं कि बारिश में गांव टापू बन कर रह जाते हैं। बेलतरा से चुनाव लड़ने का सपना देखने वाले टिकट के दावेदारों को ये सब सुनने के लिए अपने आप को तैयार कर लेना चाहिए। शहरी और ग्रामीण परिवेश वाली इस विधानसभा सीट के हर इलाके की अपनी समस्याएं हैं। जहां इस विधानसभा क्षेत्र में मुद्दा है बेलतरा की पहचान। परिसीमन के बाद विधानसभा में शहर के सात वार्ड जिसमें तोरवा, राजकिशोर नगर, चांटीडीह, सरकंडा से लेकर मंगला तक का घना रिहायशी एरिया इसमें जुड़ गया। अब बेलतरा में शहरी और ग्रामीण इलाका भी है लिहाजा यहां हर इलाके की अपनी अपनी समस्याएं हैं। इस इलाके में बुनियादी समस्याओं को साथ ही बेलतरा से लगी कोल वाशरी भी एक बड़े सियासी मुद्दे के तौर पर उभर रही है। कोल वाशरी के कारण बीच बेलतरा से 24 घंटे हैवी ट्रैफिक रहता है। इसके साथ ही प्रदूषण से पूरा गांव परेशान है। बेलतरा में समस्याओं का अंबार हैं जो चुनाव के नजदीक आते ही सियासी मुद्दों के रूप में गूंजने लगी हैं और इन मुद्दों को लेकर नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी करने लगे हैं। कुल मिलाकर अलग अलग मिजाज के इलाकों से मिल कर बने इस विधानसभा क्षेत्र की मुश्किलें और जरूरतें भी अलग-अलग हैं और ये सभी समस्याएं अपने-अपने इलाकों में चुनावी मुद्दों का रूप ले रही हैं। जो इनको साध पाएगा वो ही यहां से मैदान मार पाएगा। विधायक रजनीश कुमार सिंह के परफॉमेंस को लेकर जनता की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही है. किसी को अपने विधायक से काफी शिकायत है. क्षेत्र के लोग सड़क, पानी, बिजली और मवेशियों की समस्या से परेशान हैं, तो वहीं कुछ का कहना है कि बहुत हद तक काम हुए हैं। यहां स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक चेहरा तक दिखाने नहीं आते, बेलतरा में कुछ लोग विधायक को खोंज रहे हैं, तो कुछ लोग विकास ढूंढ रहे हैं, वहीं कई लोग विधायक के काम से संतुष्ट हैं। =0=