जिले के हजारों मनरेगा मजदूरों के वर्ष 2022- 23 का भुगतान राज्य शासन में रुका मजदूर हुए परेशान ये उन मजदूरों का भुगतान है जो 100 दिवस अतिरिक्त कार्य किये है, मनरेगा विभाग का कंहना फाइल शासन तक पहोच चुकी है।
जिले के हजारों मनरेगा मजदूरों के वर्ष 2022- 23 का भुगतान राज्य शासन में रुका मजदूर हुए परेशान
ये उन मजदूरों का भुगतान है जो 100 दिवस अतिरिक्त कार्य किये है, मनरेगा विभाग का कंहना फाइल शासन तक पहॉच चुकी है।
बालोद :- बालोद जिले के हजारों मनरेगा मजदूरो के वर्ष 2022-23 का 82 लाख 51 हजार रुपये राज्य सरकार में अटक गए है।
मजदूरो को अबतक भुगतान नहीं हो पाया है। जिसकी वजह से मजदूर चिंतित हैं। ये उन मजदूरो का भुगतान है, जिन्होंने 100 दिवस से अधिक अतिरिक्त कार्य किया है। यानी कि 100 दिवस से अतिरिक्त दिन में किये गए काम का भुगतान जो राज्य सरकार को करना था, वो नहीं हो पाया है।
लगभग 40 हजार 446 मानव दिवस का 82 लाख 51 हजार मजदूरों को भुगतान किया जाना बाकी हैं।
अभी बीते अप्रैल में ही मनरेगा मजदूरों को मिलने वाली दर में 17 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई हैं। पहले 204 रुपये मजदूरी दर थी और अब बढ़कर 221 रुपये हो चुकी है। लेकिन जो 2022-23 का भुगतान बकाया है,
वह 204 रुपये की दर से है। मनरेगा विभाग के अधिकारी की मानें तो वित्त विभाग मंत्रालय में फाइल पहुंच गई है।
◆◆ पहले 204 रुपये मिलते थे रोजाना की मजदूरी- ◆◆
दरअसल, छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम श्रमिकों को 1 अप्रैल 2023 से प्रतिदिन 221 रुपये की मजदूरी मिल रही है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राज्यवार प्रतिदिन मजदूरी की दर का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया हैं।
इसके अनुसार छत्तीसगढ़ के मनरेगा मजदूरों की प्रति दिन मजदूरी में 17 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। मनरेगा के तहत काम करने वाले हाथ से मेहनत करने वाले कर्मकारों के लिए बड़ी राहत है।
छत्तीसगढ़ के मजदूरों के लिए 221 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी तय की गई है। यह नई दर 1 अप्रैल 2023 से लागू हो गई हैं। इसके लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 204 रुपये मजदूरी दर निर्धारित थी। लेकिन नए वित्तीय वर्ष के लिए इसमें 17 रुपये की बढ़ोतरी की गई है।
◆◆ क्या है ये योजना ◆◆
बता दें केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार की गारंटी देने के लिए मनरेगा की शुरुआत साल 2006 में की थी।
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के अकुशल मजदूरों को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों के काम की गारंटी देना है। ताकि इससे होने वाली कमाई से गरीब ग्रामीण परिवारों के जीवन-यापन के स्तर को सुधारा जा सके।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस योजना को कई अंतरराष्ट्रीय योजनाओं से सराहना मिल चुकी है।
रिपोर्ट खास :- अरुण उपाध्याय बालोद मो नम्बर :- 94255 72406