बालोद जिले केविधायक कुँवर नगर के समीप डुड़िया में खुला राज्य का प्रथम जल पाठशाला

बालोद जिले केविधायक कुँवर नगर के समीप डुड़िया में खुला राज्य का प्रथम जल पाठशाला
बालोद जिले केविधायक कुँवर नगर के समीप डुड़िया में खुला राज्य का प्रथम जल पाठशाला
बालोद जिले केविधायक कुँवर नगर के समीप डुड़िया में खुला राज्य का प्रथम जल पाठशाला


गुंडरदेही-कहा जाता है कि "जल है तो कल है"। सचमुच जल का संकट सीधे-सीधे जीवन पर संकट है। हमारी सारी मानव सभ्यता जल -स्त्रोतों के किनारे से ही विकसित हुई है। घूमंतू युग में भी मानव वहीं-वहीं बसें है जहां जल के भंडार है थे। इसलिए सभी तीर्थ और महासागर नदियों के तट पर बने। किन्तु हमारा दुर्भाग्य है, कि वर्तमान में जल स्रोत प्रदूषित हो गए हैं। जल-, प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है- जनसंख्या का बढ़ता दबाव और हमारी गैर जिम्मेदारी। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ हमारी आवश्यकताएं बढ़ती चली गई। हमने आधुनिक संसाधनों के निर्माण के लिए खतरनाक रसायनों का खुलकर उपयोग किया। हमने अपनी व्यावसायिक लाभ के लिए जान बूझकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, पहाड़ों को समतल करना, खतरनाक एवं रासायनिक कचरा डाल कर नदियों को अपवित्र करना। परिणाम यह हुआ कि पवित्र पावनी यमुना दिल्ली से आते-आते काली हो गई। हमारी सरकार और समाज ने नदियों को मां एवं देवी का दर्जा तो दिया किन्तु उसके अस्तित्व एवं स्वच्छता पर कोई ध्यान नहीं दिया। पशु-पक्षी प्यासे मरने लगे। धरती का जल स्तर घट गया और हम जल संकट में फंसते चले गये। यदि हमें जल संकट से निस्तार पाना है तो हमें जागरूक होना होगा, कठोर उपाय अपनाने होंगे प्रकृति के शोषण की बजाय उसकी गोद में बैठकर संरक्षण पाना होगा। वर्षा-जल को पुनः तालाबों, सरोवरों और जलागारों में संगृहीत करना होगा।
बालोद जिले के अन्तर्गत ग्राम डुड़िया में ग्रीन कमांडो विरेन्द्र सिंह,जल योद्धा,जल स्टार के नेतृत्व व मार्गदर्शन में ग्राम डुड़िया के जल पाठशाला में स्कुली शिक्षा के साथ-साथ जल शिक्षा भी दिया जा रहा है । लोगों को जल का महत्व बताने उन्होंने गांव के छोटे छोटे बच्चों व लोगों से जल की एक-एक बूंद बचाने व वर्षा जल संरक्षण, तालाबों, नदियों कुआं , हैंडपंप को हमेशा साफ रखने व वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए जागरूक व प्रेरित किया।
जल में मां लक्ष्मी जी का वास होता है।यह माना जाता है कि जो व्यक्ति जल का दुरूपयोग करता है उसके पास लक्ष्मी नहीं टिकती । आत्मा शरीर  में वायु के रूप में वास करती है। वायु तत्व शरीर से निकलते ही शरीर निष्प्राण हो जाता है। शरीर की जठराग्नि भोजन को पचाती है। ये पंचतत्व हमारे जन्मदाता है तथा प्राण है।

*प्रकृति को साथी बनाएं*
प्रकृति की शुद्धि तथा वायु के पोषण के लिए नित्य हवन करें। विचारों की गंदगी मिटाएं। हमारे मन के विचार ही वायुमंडल को शुद्ध या अशुद्ध बनाते हैं। कहावत भी है सादा जीवन उच्च विचार। परनिंदा, बुराई,गाली गालौच , गेंदे दृश्य से बचने का संकल्प लें तथा मन को संयमित रख सुंदर पवित्र विचार मन में धारण करें।यह प्रकृति को शीतलता, सहजता, सुन्दरता प्रदान करता है। प्रकृति को संवारने, श्रृंगार करने पौधारोपण का संकल्प व सुरक्षा का जिम्मेदारी उठाये।
जिसमें ग्राम डुड़िया के जल योद्धा यशवंत कुमार टंडन, रोहित देवांगन,प्रियांचल टंडन, दामिनी टंडन, दीपिका देशलहरे, निकिता देशलहरे, निधि देशलहरे,सती देशलहरे सविता टंडन उपस्थित रहे।