भक्तों का उद्धार करने हनुमान ने लिया था पंचमुखी अवतार - रामबालकदास जी
हनुमान जी राम जी के भक्तों पर आने वाले हर प्रकार के संकट को तुरंत हर लेते हैं इसीलिये उनको संकटमोचन नाम से भी जाना जाता है। काशी नरेश शगुन की रक्षा के लिये उन्होंने विराट रूप धारणकर उन्हें श्री राम के कोप से बचाया था इसे ही हनुमान जी का पंचमुखी अवतार कहा जाता है।
पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में पुरूषोत्तम अग्रवाल की जिज्ञासा हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार किस हेतु लिया तथा पंचमुखों का क्या महत्व है पर प्रकाश डालते हुये संत रामबालकदास जी ने कहा कि एक बार जब काशी नरेश शगुन विमान से जा रहे थे तब उन्होंने पान खाकर पीक कर दिया जो सरयू में स्नान कर रहे वशिष्ठ के अंजलि में जाकर गिरा। इस पर क्रोधित हो राम ने संकल्प लिया कि सूर्यास्त के पहले अपराधी को मृत्युदण्ड दूॅगा नहीं तो स्वयं चिता के आगोश में प्रवेश कर लूॅगा। नारद ने शगुन को रक्षार्थ माता अंजनि के पास भेजा। अंजनि के कहने पर हनुमान ने राम नाम का घेरा बनाकर उसमें शगुन को बिठा दिया। राम जी ने सेना भेजी, भाईयों को भेजा लेकिन राम नाम रूपी अभेद किला में होने से शगुन का बाल बांका नहीं हुआ तब राम ने स्वयं बाण का संधान किया जिसके प्रभाव से ब्रम्हाण्ड को बचाने हनुमान ने विराट रूप धारण किया इसे ही हनुमान का पंचमुखी अवतार कहते हैं।
बाबा जी ने कहा कि यह पाॅच मुख पाॅच विशिष्ट शक्तियों के परिचायक हैं। पाॅचों मुख अलग - अलग दिशाओं में हैं तथा इनके अलग - अलग महत्व हैं। दक्षिण में नरसिंह मुख डर, तनाव व मुश्किलें दूर करने करता है। उत्तर में वराह मुख लंबी उम्र, प्रसिद्धि तथा शक्तिदायक है। पूर्व में कपि मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है। पश्चिम में गरूढ़ मुख जीवन की परेशानियों का नाशक है। आकाश में अश्व मुख मनोकामनायें पूर्ण करता है। यह पंचमुख विभिन्न शक्तियों के सेवक रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। कपि रूप में राम का, नरसिंह के सिंह रूप में माता भगवती की, गरूण रूप में विष्णु की, हयग्रीव रूप में संसार के वैद्य की, वाराह रूप में धरती के उद्धार की।
रिपोर्ट // नरेन्द्र विश्वकर्मा