कीचड़ से निर्लिप्त रहकर पवित्रजीवन जीने की प्रेरणा देता है कमल - रामबालकदास
कीचड़ से निर्लिप्त रहकर पवित्रजीवन जीने की प्रेरणा देता है कमल - रामबालकदास
कमल का फूल कीचड़ और जल में ही उत्पन्न होता है लेकिन उससे निर्लिप्त रहकर हमें पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। यह इस बात का प्रतीक है कि अवांछनीय तत्वों के परिमार्जन द्वारा श्रेष्ठता को प्राप्त किया जा सकता है इसीलिये कमल सा खिलना अत्यंत शुभ और मांगलिक माना जाता है।
पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में पुरूषोत्तम अग्रवाल की जिज्ञासा का समाधान करते हुये संत श्री रामबालकदास जी ने कहा कि भारतीय अध्यात्म दर्शन में कमल के पुष्प को अत्यंत पवित्र, पूजनीय तथा सुंदरता, सद्भावना, शाति, समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह ऐश्वर्य तथा सुख का सूचक है। कमल को पुष्पराज भी कहा जाता है। पौराणिक आख्यानकों में भगवान विष्णु की नाभि से कमल का उत्पन्न होना और उस पर विराजमान ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना करना कमल की महत्ता को स्वयं सिद्ध करता है। कमल को महालक्ष्मी, ब्रह्मा, सरस्वती आदि ने अपना आसन बनाया। कमल के फूल से अनेक देवी - देवताओं की पूजा की जाती है। अनेक प्रकार के यज्ञों और अनुष्ठानों में कमल के पुष्पों को निश्चित संख्या में अर्पित करने का शास्त्रों में विधान बताया गया है। भगवान विष्णु ने सहस्त्र नीलकमलों से शिव की आराधना की थी फलत: उन्हें सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुयी थी। भगवान के नैन इतने सुंदर हैं कि इन्हें कमललोचन की संज्ञा देकर कमल की महत्ता प्रतिपादित की गयी है। श्री राम ने सहस्त्र लाल कमलों से आदिशक्ति देवी की उपासना की थी फलत: उन्हें रावण पर विजय मिली।
बाबा जी ने कहा मंदिरों के शिखर बंद कमल के आकार के बनाये जाते हैं। पृथ्वी की आकृति भी कमल के समान बतायी गयी है। कुंडलिनी जागरण के लिये योगी जिन आठ चक्रों को भेदते हैं उन्हें विभिन्न दलों के कमल कहते हैं क्योंकि उनको भेदकर ही ब्रह्म का ज्ञान और उसकी प्राप्ति होना बताया जाता है। बाबा जी ने बताया कमल पुष्पों से पूजन, कमल गट्टा से हवन, कमल के मखाने की खीर से लक्ष्मी को भोग लगाना, कमल पत्र सुखाकर इसके चूर्ण कमल गंधक से शिव का अभिषेक, कमल नाल की माला, कमल पत्र पर भोजन का विशेष स्थान है। इस प्रकार भारतीय संस्कृति में कमल का विशेष महत्व है। कमल राष्ट्रीय पुष्प भी है।
Report//Narendra