शंख की ध्वनि से होता है बुरी मानसिकता का नाश - सन्त राम बालक दास जी

शंख की ध्वनि से होता है बुरी मानसिकता का नाश - सन्त राम बालक दास जी

संत श्री राम बालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग अपने भक्त गणों के लिए निरंतर उनके द्वारा संचालित किया जा रहा  है जिसमें वे अपने विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में कई लोगों को एक साथ सत्संग का लाभ प्रदान करते हैं एवं उनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी करते हैं
        आज के सत्संग परिचर्चा में रीखी राम साहू जी जगदलपुर ने जिज्ञासा रखी थी  पलाश के सफेद और पीले फुल का क़्या महत्व है, बाबा जी ने पलाश फूलों के महत्व को   उजागर करते हुए बताया कि पलाश के फूल मुख्यतः भगवे रंग के होते हैं जिनका कलर निकालकर पहले के समय में होली खेली जाती थी, आज भी यदि हमें स्वास्थ्यवर्धक रंग बनाना है तो इसे गर्म पानी में उबालकर कपूर के साथ रंग बनाकर आप होली खेल सकते हैं, यह आयुर्वेदिक नुक्सा है जो कि गर्मी से भी हमें बचाता है, क्योंकि होली के बाद ऋतु परिवर्तन होता है और गर्मी का मौसम चालू हो जाता है तो इसके द्वारा बनाए गए रंगों को अपने शरीर पर लगाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता और गर्मी निरोधक क्षमता हमारे शरीर को प्राप्त होती है
       गीता बहन ने जिज्ञासा रखि कि वे स्वप्न में शिवलिंग का अभिषेक करते हुए देखते हैं और कभी-कभी उन्हें सर्प भी दिखाई देते हैं तो बाबा जी ने सपने के दोषों को स्पष्ट करते बताया कि सपने में हम जो भी चीज देखते हैं संभव नहीं कि वह सच ही हो यदि आपको ऐसा कुछ दिखाई देता है तो आप अपने घर में शिवलिंग का अभिषेक करते हुए वहां पर एक चांदी का सर्प चढ़ा सकते हैं क्योकि सर्प हमारे देवता है ओर वह हमारा कभी अहित नहीं करते अतः आप प्रतिदिन 108 ओम नमः शिवाय की माला भी कर सकती हैं


       नोमेश कुमार साहू जी ने जिज्ञासा रखी थी 
शंख के अलग अलग नाम होते है 
यह कितने प्रकार के होते हैं और सबके नाम भी अलग होते हैं क्या ?कृपया व्याख्या करने की कृपा करे ,, और सबके अलग अलग गुण भी होते होंगे सबकी व्याख्या करने की कृपा करें गुरुदेव, बाबा जी ने बताया कि शंख के प्रायः दो प्रकार होते हैं एक दाहिना होता है और एक बांया, बांया शंख को हम अपने घरों में पूजा पाठ में उपयोग में लाते हैं, और दूसरा दाहिना शंख जो भगवान महा विष्णु के हाथ में शोभित है, शंख के बहुत गुण हैं शंख की ध्वनि हमारे आंतरिक दोषों को दूर करती है, शारीरिक लाभ प्रदान करता है बहुत सारे कीटाणुओं का नाश करता है इसे बजाने से हमारे स्वसन तंत्र मजबूत होता है हृदय संबंधित रोगों का निराकरण होता है, रात में शंख में पानी भरकर रखे ,,
ओर सुबह बच्चे को पिलाया जाए तो जो बच्चे तुतलाते हैँ उनका तुतलाना भी बंद हो जाता है, भगवान की पूजा पाठ भोग आरती में ही शंख क्यों बजाया जाता है इसे भी स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि जब हमारे आसपास की तामसिक शक्तियों को नष्ट करना रहता है तो सात्विक शक्ति का आह्वान करने हेतु और तामसिक शक्तियों का नाश करने हेतु शंख वादन किया जाता है 
      हेमंत साहू जी ने जिज्ञासा रखी  की यज्ञ स्थल पर धोती धारण करने के लिए आग्रह किया जाता है, धोती का अभिप्राय विशेष धोती ही है,की कोई भी बिना सिला हुआ वस्त्र, ,,
बाबा जी ने स्पष्ट किया कि धोती का अर्थ है जिसे धोकर पहना जाए या फिर जिसे धुतकर, अर्थात लपेटकर पहना जाए, परंतु पूजा में अधोवस्त्र वर्जित है, वस्त्र तीन प्रकार के होते हैं सात्विक राजस और तामस, सात्विक वस्त्र में वे सभी आते हैं जिन्हें बिना सिले हम लपेटकर पहनते है जैसे धोती शाल गमछा पितांबरी, राजसी वस्त्र जिसे हम ऊपर से पहनते जैसे कोट कुर्ता कमीज, तामसिक बस्त्रों के अंतर्गत पेंट पजामा जींस यह सब आदि आते हैं
          एक साधक ने पूछा कि स्वामी जी भगवान भोलेनाथ को तीन पत्ती वाला बेलपत्र ही क्यों चढ़ाते हैं दो पत्ती या एक पत्ती वाला बेलपत्र क्यों नहीं इस विषय पर प्रकाश डालने की कृपा करें , बाबा जी ने भक्तों की जिज्ञासा को स्पष्ट करते हुए बताया कि तीन पत्ते वाले बेलपत्र में तीनों देवों ब्रह्मा विष्णु महेश जी का वास होता है क्योंकि शिवजी त्रिनेत्र धारी है तीनों लोकों के देव है ब्रह्मा विष्णु महेश उन्हीं में समाए हुए हैं इसलिए उनको तीन पत्र वाला बेलपत्र ही अर्पित किया जाता है

              

रिपोर्ट // नरेन्द्र विश्वकर्मा