डिटीजल बाबा आनलाइन सत्संग बालकदास जी से धर्म ज्ञान का एक अंश....अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का पक्ष है पितृ पक्ष-संस्कार
डिटीजल बाबा आनलाइन सत्संग बालकदास जी से धर्म ज्ञान का एक अंश....अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का पक्ष है पितृ पक्ष-संस्कार
छत्तीसगढ़/डौंडीलोहारा-प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा आज सुबह किया गया
आज के सत्संग में सभी को सूचित कराते हुए बाबाजी ने बताया कि गाय गोपालक के लिए लाभकारी हो।गाय का धार्मिक,आध्यात्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व जन जन तक पहुँचे।पंचगव्य का समुचित उपयोग हो।गो माता का उचित संरक्षण एवम संवर्धन हो।प्रदेश में गो तस्करी बन्द हो,गोमाता सड़को पर न रहे,गो आधारित कृषि ज्यादा से ज्यादा हो,गो आधारित मनुष्य चिकित्सा का ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार हो जैसे गो माता से जुड़े समग्र विषय को लेकर आगामी दिसंबर से मार्च 2022 के मध्य पूरे प्रदेश में सम्पूर्ण स्थानों पर गो कथाओं का आयोजन ज्यादा से ज्यादा हो ,इस विषय को लेकर प्रदेश के कथाकारों का एक प्रशिक्षण वर्ग रखा गया है।इस वर्ग में श्रीरामकथा,श्रीमद्भागवत कथा कहने वाले कथाकारों को गो माता के धार्मिक महत्व के साथ साथ उसके वैज्ञानिक,चिकित्सिकीय सहित पंचगव्य उत्पाद सहित समग्र प्रकार की तथ्यात्मक जानकारी प्रदान की जाएगी।गोमाता पर हुए विभिन्न रिसर्च से सभी को अवगत कराया जाएगा।अतः ऐसे सभी बंधु/भगिनी जो कथा करते हैं या करना चाहते हैं वो इस वर्ग में सादर आमंत्रित हैं। सत्संग परिचर्चा में विभिन्न भक्त गणों की विषयांतर्गत जिज्ञासाओं का समाधान बाबा जी के द्वारा किया जाता है सत्संग परिचर्चा में प्रेमचंद जी ने जिज्ञासा रखी की पीपल के वृक्ष के नीचे देखने को मिलता है की हनुमान जी को स्थापना लोग करते हैं इसका क्या महत्व है, बाबा जी ने बताया कि हमारे गांव आदि परिसर में जो भी नीम का पीपल का बरगद का पेड़ होता है वैसे ही वह पूजनीय ही होते हैं, क्योंकि इन वृक्षों में ब्रह्म का निवास होता है, परंतु पीपल के नीचे हनुमान जी की स्थापना यह हमारी परंपरा है, हनुमानजी का 1 नाम प्रति ग्रामस्थिताय भी हैं, हर गांव में रहने वाले हनुमान, हर गांव की रक्षा करना उनका कार्य है, इसीलिए प्राचीन काल से ही यह प्रथा रही है कि किसी भी घने वृक्ष के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा या मंदिर की स्थापना कर दी जाती है ताकि जब यात्री थके हारे वहां वृक्ष के नीचे आए तो उन्हें छाया के साथ-साथ जल आदि भी प्राप्त हो इसीलिए गांव में परंपरा होती है कि घने वृक्षों के आसपास कुँआ भी खोदा जाता था साधक गीता शुक्ला जी इंदौर ने जिज्ञासा रखी थी पिपल मे रविवार को पानी देना चाहिए की नहीं, गुरदेव जी बताने कि कृपा करें, बाबा जी ने बताया कि अलग-अलग दिन पर्व त्यौहार पर हमारे घर राशि का प्रभाव हमारे शरीर पर अलग-अलग पड़ता है इसीलिए हमारे पूर्वजों ने इसे धर्म से जोड़ते हुए हर वृक्ष में जल चढ़ाने का भी प्रावधान दिन और नियम के अनुसार रखा है रविवार के दिन पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाने में कोई दोष नहीं होता और आपको इस दिन जल चढ़ाने पर ब्रह्म तत्व की प्राप्ति होती है रविवार के दिन पीपल में जल अवश्य चढ़ाएं
रामफल जी ने जिज्ञासा रखी की कहते हैं श्रीमद्भागवत महापुराण मरना सिखाती है और श्रीरामचरितमानस जीना सिखाती है इस पर प्रकाश डाले
बाबा जी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि रामचरितमानस ही जीना सिखाती है महाभारत भी जीना सिखाती है, जीवन के पहलू को जानकर जीवन जीने की कला रामचरितमानस सिखाती है तो अंत समय में अपनी दुर्गति को कैसे सुधारा जा सकता है यह महाभारत सिखाती है राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न और सीता के चरित्र से हम जीना सीखते हैं तो भीष्म पितामह, अश्वत्थामा कौरवों और पांच पांडव से हम अपने अंतिम समय को कैसे सुधार सकते हैं यह सीखते हैं
राधेश्याम जी ने पूछा कि पितृपक्ष में देव पूजन किया जाए या नहीं, बाबा जी ने बताया कि पितृपक्ष में पूजन करने में कोई दोष नहीं होता पीतर कोई सूतक नहीं होते वे तो हमारे पूर्वज है हमारे पूजनीय है, बढ़िया स्वादिष्ट भोजन बनाईये उनको अर्पित कीजिए यही उनके लिए हमारे द्वारा किया गया सम्मान है
दूधे लाल साहू जी ने जिज्ञासा रखी की मांगन से मरना भला, जे नर मांगन जाहि, उनसे पहले वे मरे, जिन मुख निकसत नाही, इन पंक्तियों के भाव को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि यदि मांगने की स्थिति आ जाए तो उससे अच्छा है कि हम मर जाए, परंतु उससे भी पहले वे मरे जिसके पास है तो भी वह देता ही नहीं तो वह मांगने वाले से भी बड़ा दोषी है
पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखी की श्री राम प्रभु के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी और धर्म धुरंधर श्री भरत जी की गुण समतुल्यता पर प्रकाश डाले बाबा जी ने बताया कि भगवान के भक्तों की श्रेणी कभी अलग नहीं होती, भक्त तो भक्त होते हैं सभी भक्त भगवान को प्रिय होते हैं राम के बिना ना तो भरत जी जी सकते हैं ना ही हनुमान जी, इसीलिए प्रभु राम दोनों की ही महिमा गाते हैं
गजेंद्र पटेल जी ने जिज्ञासा रखी की हमे जीवन की कई समस्याओं के लिए व्रत ,उपवास,पुजा पद्धति आदि करने की सलाह दी जाती है ,भौतिक जीवन की समस्याओं के लिए ग्रह नक्षत्रों की आराधना कितना सही है?,अत्यधिक सकारात्मक कार्य उपरांत भी संतोषप्रद परिणाम का ना आना क्या भाग्य की श्रेणी में आता है | मार्गदर्शन करें प्रभु
बाबा जी ने बताया कि जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए व्रत नहीं किया जाता यह तो अपने शरीर को साधने के लिए किया जाता है, हमारा मन चंचल है जिसके कारण हमारे जीवन में कई व्याधि उत्पन्न होती है इसे संयमित करने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने व्रत उपवास का प्रावधान बनाया है, अपने मन और शरीर को संयमित करके हम बहुत सारी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं
भाग्य कभी भी हमारे कर्म द्वारा ही तय होता है आप जब कोई भी कार्य करते हैं उसमें परिणाम सकारात्मक आता है तो आप उत्साहित हो जाते हैं और नकारात्मक आते हैं तो हतोत्साहित हो जाते हैं जीवन का पहिया तो दो तरह का है यह कभी सुख है तो कभी दुख है कभी अच्छा परिणाम मिलेगा तो कभी बुरा परिणाम भी मिलेगा, परंतु इन स्थितियों से विचलित ना होते हुए हमें संयमित रहकर ही जीवन जीना चाहिए और अपने कर्मों को सद्भावना के साथ पूरे परिश्रम के साथ निरंतर रूप से करते रहना चाहिए इस तरह आज का सत्संग संपन्न हुआ आप भी इस सत्संग से प्रतिदिन जुड़ना चाहते हो तो
हमारे व्हाट्सएप नंबर 9425510729 पर अपना नाम पता लिखकर भेजें