वैराग्य नहीं तो प्रभु चरणों मे अनुराग तो होना चाहिए

वैराग्य नहीं तो प्रभु चरणों मे अनुराग तो होना चाहिए

प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके विभिन्न ऑनलाइन व्हाट्सएप ग्रुपों में प्रातः 10:00 बजे किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं
          आज की सत्संग परिचर्चा में जंगलपुर से कुंभ लाल विश्वकर्मा जी ने जिज्ञासा रखी की 
 पूजा करते समय शंख की ध्वनि अति आवश्यक है जिसे सुनने से मन को अति आनंद की प्राप्ति होती है गुरु जी मेरे पास शंख नहीं है और ना ही मुझे बजाने आता है तो ऐसे समय में मोबाइल से शंख ऑडियो सुनना सही है या नहीं गुरु जी मुझे शंख की महत्त्व बताइए, इस पर बाबा जी ने स्पष्ट किया कि संत की ध्वनि को शंख द्वारा ही बजा कर उसका लाभ प्राप्त किया जा सकता है आप शंख की ध्वनि को मोबाइल आदि पर प्रयुक्त करके उसका पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं कर सकते आप अपने घर में एक शंख रखिए उसमें रात भर पानी भर के रखे सुबह छानकर उस पानी को पीजिए बहुत अधिक लाभ आपको प्राप्त होगा मन में शांति प्राप्त होगी और वैसे ही शंख को बजाने से भी लाभदायक है 
         राजकुमार यादव जी ने जिज्ञासा रखी की गुरु देवजी बाली ने मरते समय प्रभु श्रीराम जी से क्या मांगा? बताने की कृपा करें, इस पर बाबाजी बोले कि बाली ने श्री राम जी से मांगा की जन्म और मृत्यु से मुझे कोई भय नहीं है बस एक ही मनोकामना है कि जब भी जन्म मिले परमात्मा के चरणों में प्रीति बनी रहे अनुराग बना रहे इसी प्रकार हमें भी जीवन के भोग विलास में रहते हुए भी भगवान के चरणों में हमेशा अपनी प्रीति बनाए रखना चाहिए 
                पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखी की 
दासा तन हृदय नहीं, नाम धरा वे दासl
पानी के पिए बिना, कैसे मिटे पियासll
महात्मा कबीर के इस दोहे पर प्रकाश डालने की कृपा हो भगवन, कबीर जी की वाणी को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि जिसमे दास का कोई लक्षण नहीं होता मेरा मेरा करने वाले मालिक का भाव जगा बैठते हैं वह नहीं सोचते कि संसार को बनाने वाला ही उसका मालिक है हम तो यहां पर केवल माली है जो इसकी देखभाल कर रहे हैं साज सज्जा कर रहे हैं अतः दास्य  भाव को ही मन में लाकर अपना जीवन जीना चाहिए 

 


            रोहित जंघेल जी ने जिज्ञासा रखी की  एक वर्ष में  चार नवरात्रि आती है जिसमे दो नवरात्रि गुप्त है मैंने सुना है कि माघ एव आषाड़ माह में गुप्त नवरात्रि आती है और अभी चल भी रहा है कृपया गुप्त नवरात्रि की रहस्य पर प्रकाश डालिये प्रभु जी, बाबा जी ने बताया कि हर 3 महीने में नवरात्र आने से साधना हमारे जीवन में बनी रहती है मां भगवती के कई अवतार कई भाव कई लीला है इन्हीं 10 महाविद्या 9 अवतारों का ही प्रभाव है नवरात्रि मैया का यह पर्व,जिसमें गुप्त नवरात्रि अघोरियों और तंत्र वादियों के लिए है तो वैष्णव परंपरा में चेत्र और क्वार नवरात्र मनाई जाती है 
           पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी थी
गुरू बिनु भवनिधि तरइ न कोई।
जो बिरंचि शंकर सम होई।।, गुरु की महिमा पर प्रकाश डालते हुए बाबा जी ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पर गुरु महिमा को प्रकट किया है वे कहते कि हमें हमारे जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए आजकल गुरु शिष्य की परंपरा बहुत ही धूमिल हो गई है यह उसी प्रकार हो गई है जैसे कि विवाह परंपरा है विवाह भी हम कोर्ट में जाकर तो कर सकते हैं लेकिन जो विधि विधान पूर्वक  किया जाता है वह अपने आप में ही अटूट होता है उसी तरह से दीक्षा परंपरा भी अटूट है  चाहे भगवान शिव हो या भगवान विष्णु अपने इष्ट देव को मानकर ही गुरु शिष्य की परंपरा बनाए लेकिन गुरु शिक्षा अवश्य ग्रहण करें
         रामफ़ल जी ने जिज्ञासा रखी की 
 गौ माता वैतरणी पार कराती है तो यह वैतरणी किस प्रकार से है और गौमाता कैसे पार कराती है इस पर प्रकाश डालने की कृपा हो प्रभु, बाबा जी ने बताया कि वैतरणी हमारे जीवन में जाने-अनजाने किए गए पापों का एक समूह है जो कि हमारे मोक्ष द्वार के समय हमारे लिए  बाधा का कार्य करता है इसी से पार पाने के लिए हमें गौमाता बहुत अधिक सहायक होती है जैसे हम अपने जीवन में पाप करते हैं तो गंगा स्नान से उसका उद्धार करते हैं वैसे ही गौ माता की पूछ को अगर पकड़ा जाए तो बैतरणी   नदी को पार किया जा सकता है यही इसका भाव है

 

 

रिपोर्ट //नरेन्द्र  विश्वकर्मा