जामड़ी पाठ को मानने वाले 12 गांव के बैठक में आदिवासी समाज ने की घोषणा

जामड़ी  पाठ  को मानने  वाले 12 गांव के बैठक में आदिवासी समाज ने की घोषणा

आज दिनांक 15 मई को ग्राम बड़े जुंगेरा  में श्री जामड़ी  पाटेश्वर धाम क्षेत्र के 12 गांव की बैठक बुलाई गई जिसमें संपूर्ण आदिवासी समाज के प्रमुख जन उपस्थित रहे ग्राम 
बड़ेजुगेरा ,रुपुटोला ,लोहारटोला, केरी, केरिजुगेरा, चिखली, बरडीह, भंवरमला, झिंकाटोला,करियाटोला, अडमागोंदी, तुमड़ीकसा, लमती, जरहालमती  समेत विभिन्न गांव के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उपस्थिति दी इस बैठक में ,तोएगोंदी गांव ,,जिन्होंने क्षेत्र को बिना पूछे 46 साल से चली आ रही सेत पूजा का उल्लंघन करके श्री जामड़ी पाट में जीव हत्या की ,,उनको बुलाया गया था पर समाज की अवहेलना करते हुए तोएगोंदी से बैठक में कोई भी नहीं आया , अतः 12 गांव ने सर्वसम्मति से ग्राम तोएगोंदी को अगली बैठक में आवश्यक रूप से उपस्थिति देकर समाज को सही बात बताने का लिखित सूचना दिया गया -


          वहीं दूसरी ओर समस्त जामड़ी  पाटेश्वर धाम क्षेत्रवासी आदिवासी समाज ने एक स्वर से कहा कि हम सदा से राम ,कृष्ण ,गणेश, दुर्गा ,देवी देवता को मानने वाले रहे हैं रामायण, भागवत ,सत्यनारायण कथा ,का आयोजन करने वाले रहे हैं और ऐसे ही रहेंगे हमारे आने वाली पीढ़ी भी ऐसी ही रहेगी हम हिंदू थे हिंदू हैं हिन्दू ही रहेंगे, साथ ही सभी ने कहा कि श्री जामडी पाटेश्वर धाम को या संत श्री राम बालक दास जी को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने का प्रयास किसी ने किया तो उनका मुंह तोड़ जवाब क्षेत्रवासी देंगे और 1 मई को जामडी पाटेश्वर धाम में जो जबरदस्ती जीव हत्या करके इस स्थान को अपवित्र किया गया इस घटना में केवल 1 गांव तोएगोदी शामिल है बाकी पूरे क्षेत्रवासी इस घटना से अनभिज्ञ भी थे और साथ ही इसमें कोई भी सम्मिलित नहीं था और इस घटना में कुछ बाहरी लोग भी सम्मिलित हुए थे उनकी जांच की जाए और उन पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए ऐसी मांग पत्र एसडीएम के नाम भी तैयार की गई और यह प्रमाणित भी किया गया कि जिस तरह पहाड़ी पर स्थित श्री जामडी पाटेश्वर बाबा का स्थान हजारों साल से स्थापित है वैसे ही जिस स्थान पर श्री राज योगी बाबा जी ने 40 वर्ष तपस्या की जहां आज जामडी पाटेश्वर आश्रम है वह स्थान भी हजारों वर्ष प्राचीन है यहां पर जलदेवी का स्थान है जहां हर समय पानी रहता है इसे ,,मरदेल ,,के नाम से जाना जाता रहा है अतः यहां पर 1975 से राजयोगी बाबा जी ने कब्जा किया ऐसा दुष्प्रचार करना सरासर गलत है यह आदिवासियों के द्वारा पूजित अति प्राचीन स्थान है और पूरे इलाके के आदिवासियों के द्वारा ही 1975 में यहां राजयोगी बाबा को स्थान दिया गया है तब से सदा उनका सभी गांव वालों के द्वारा सेवा किया गया है और आगे भी यहां पर राम बालक दास जी के साथ पूरा क्षेत्रीय आदिवासी समाज रहेगा .

रिपोर्ट // नरेंद्र विश्वकर्मा