15 साल से प्रशासन तक चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन को कई बार आवेदन सौंप चुके हैं, लेकिन उनका आवेदन फाइल में दबा हुआ है

15 साल से प्रशासन तक चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन को कई बार आवेदन सौंप चुके हैं, लेकिन उनका आवेदन फाइल में दबा हुआ है
15 साल से प्रशासन तक चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन को कई बार आवेदन सौंप चुके हैं, लेकिन उनका आवेदन फाइल में दबा हुआ है

15 साल से प्रशासन तक चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन को कई बार आवेदन सौंप चुके हैं, लेकिन उनका आवेदन फाइल में दबा हुआ है 

बालोद-जर्जर स्कूल भवन को तोडऩे की मांग को लेकर सिवनी के ग्रामीण, सरपंच, स्कूल शिक्षक एवं शाला प्रबंधन 15 साल से प्रशासन तक चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन को कई बार आवेदन सौंप चुके हैं, लेकिन उनका आवेदन फाइल में दबा हुआ है। प्राथमिक शाला भवन 55 साल पुराना है। दीवारें और छत धीरे-धीरे गिरने लगी हैं। जर्जर स्कूल के नीचे बच्चे खेलते रहते हैं, जो कभी भी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। जिले के अलग-अलग इलाकों में इस तरह की घटनाएं भी कई बार सामने आ चुकी हैं। ग्रामीणों की लगातार मांग के बाद भी प्रशासन उसे तोडऩे में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 

1967 में बना स्कूल भवन 12 साल से बंद 

ग्रामीण जागृत भास्कर, कमलेश सहारे, हेमंत साहू, लोकेश साहू, राकेश देवांगन, रेखा बाई, आशा देवी, धनेश्वरी बाई के अनुसार यह स्कूल 11 जनवरी 1967 में बना है। भवन अतिजर्जर होने के कारण बच्चों को 12 साल से इस स्कूल में पढ़ाया नहीं जा रहा है। भवन कभी भी भरभराकर गिर सकता है। स्कूल शिक्षकों के अनुसार जर्जर भवन के अलावा और कमरे भी हैं, जहां बच्चों को पढ़ाया जाता है। वर्तमान में कक्षा पहली से पांचवीं तक 123 बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। बच्चे खेलकूद करते समय जर्जर भवन के नीचे भी खेलते रहते हैं, जिन्हें बार-बार समझना पड़ता है। बच्चे संभावित दुर्घटना से अनजान हैं और जर्जर भवन के नीचे खेलते रहते हैं। 

आवेदन पर जिम्मेदारों ने नहीं दिया ध्यान 

सिवनी सरपंच दानेश्वर सिन्हा ने बताया कि स्कूल को तोडऩे की मांग लंबे समय से की जा रही है। इससे पहले भी वे सरपंच बने थे। प्रशासन को आवेदन सौंपा था। शिक्षा विभाग से लेकर एसडीएम व कलेक्टर तक कई बार आवेदन सौंप चुके हैं। अब तक प्रशासन से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सरपंच ने कहा कि बच्चों को जर्जर भवन के पास खेलने से मना किया जाता है, लेकिन मानते नहीं हैं। कई बार खेलते देखकर हमें डर लगने लगता है। जर्जर भवन में कभी भी हादसा हो सकता है। प्रशासन को शीघ्र भवन को तोडऩे का आदेश देना चाहिए। 

हादसे का डर बना रहता है 

प्राथमिक शाला स्कूल प्रभारी प्राचार्य राजश्री यदु ने कहा कि 10-12 वर्षों से भवन जर्जर हालत में है। भवन की स्थिति को देखते हुए बच्चों को नहीं पढ़ाते अलग कमरे में बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन बच्चे जर्जर भवन के पास खेलते रहते हैं। हादसे का डर बना रहता है। 

समाचार,विज्ञापन व सुझाव के लिए

 [email protected]

संपर्क

मो:

7089094826

9302694826

क्रमशः अगला खबर के लिए डाउनलोड करें गुगल एप

 

 

 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.cg.newsplus