वेदान्त उर्वरा भूमि मुक्ताधाम हथोंद आश्रम में मनाई गई स्वामी कुम्भज जी की प्रथम पुण्यतिथि  

वेदान्त उर्वरा भूमि मुक्ताधाम हथोंद आश्रम में मनाई गई स्वामी कुम्भज जी की प्रथम पुण्यतिथि   
वेदान्त उर्वरा भूमि मुक्ताधाम हथोंद आश्रम में मनाई गई स्वामी कुम्भज जी की प्रथम पुण्यतिथि   

 

वेदान्त उर्वरा भूमि मुक्ताधाम हथोंद आश्रम में मनाई गई स्वामी कुम्भज  की प्रथम पुण्यतिथि

 

 

  बालोद :- जिला मुख्यालय बालोद से पन्द्रह किलोमीटर दूर स्थित वेदान्त की ऊर्वरा भुमि मुक्ताश्रम हथौद में मुक्ताश्रम न्यास के संस्थापक ब्रह्म लीन वेदान्त केशरी स्वामी आत्मा राम कुम्भज जी की प्रथम पुण्यतिथि पर कल दिनांक 16/03/23दिन गुरुवार को सत्संगी जनों ने अपने गुरुवर को अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

   महर्षि मुक्ताश्रम न्यास द्वारा स्वामी जी के महाप्रयाण की पहली बरसी पर आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ सत्संगी जनों द्वारा श्री विग्रह के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया पश्चात गुरु आरती ,गुरु वंदना और संस्मरण की श्रृंखला में सबसे पहले आश्रम में प्रथम बार पधारे मुक्त परंपरा के संत फकीर राम जी के स्वामी कुम्भज जी के साथ बिताए गए क्षणो को वेदांत दर्शन की शैली मे व्यक्त कर किया।

   आपने विचार व्यक्त करते कहा कि मुक्त मनीषी के शरण में आते बिना साधक के लिए रामायण ,भागवत और गीता महज कथा कहानी है।

   जीवन में सुखी होने के लिए संसार को संतों की जरुरत है, संसाधन की नहीं। भिलाई से पधारे साधक मित्तल जी ने स्वामी जी के सहज जीवन पर प्रकाश डाला।

   राजकुमार श्रीवास्तव ने गुरु की शिष्य की सतत हितपोषण और चिन्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक बार मैं साधना का स्थान तलासते बालोद जिले के तान्दुला बांध से लगे हुए धुमरा पठार के धनधोर जंगल में भटक जाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि रात को डेढ़ बजे कुशल क्षेम जानने के लिए दुरभाष (फोन) कर हाल जानना एक गुरु का शिष्य का सतत हितपोषण, हितचिंतन और गुरु की उदारता का इससे बड़ा उदाहरण क्या दुं।

  प्रख्यात वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद देशमुख ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे आदर्श स्वामी कुम्भज जी गोस्वामी तुलसीदास जी की कालजयी कृति श्री मद् रामचरित मानस को पढ़कर कबीर हो गये।सेवा निवृत शिक्षक हरि राम कुम्भकार जी ने कहा कि। मैं शिक्षक होकर जिया परन्तु शब्द का बड़ा कंजुस हुं परन्तु स्वामी जी के वियोग में पुण्यतिथि पर आयोजित इस कार्यक्रम ने मेरी शब्दों की कंजुसी खत्म कर दी।

   हम सब को ऐसे सहज संत का मिलन अब दिशा स्वप्न प्रतीत होता है। सेवानिवृत्त प्रधान पाठक श्री हिम्मत लाल यादव जी ने बताया कि मुझे गर्व है कि मैं मुक्त दर्शन को जीवन में आत्मसात कर जीने वाले परिवार का तीसरी पीढ़ी का सदस्य हु और स्वामी आत्मा राम कुम्भज का विशेष स्नेह भी मेरे परिवार के साथ रहा है वे स्वयं को हमारे परिवार का सदस्य कहते रहे।

  स्वामी जी के कृपा पात्र शिष्य दृश्य पुरुषोत्तम सिंह राजपूत और हेमन्त सिन्हा ने मंच संचालन करते हुए अश्रुपूरित नेत्रों से स्वामी श्री के साथ गुजारे अंतरंग पलों का स्मरण किया और कहा की जंगल जाकर तो कोई साघु हो सकता है हमारे स्वामी जी घर गृहस्थ में रहकर भी अखण्ड ब्रह्मचर्य को प्राप्त महापुरुष रहे।

  स्वामी जी का व्यक्तित्व अनोखा रहा जीवन में सहजता और मंच विद्वता दोनों ही "न बुतों न भविष्यति" को पुर्ण चरितार्थ करती है।

  कार्यक्रम में महर्षि मुक्ताश्रम न्यास के उपाध्यक्ष जागेश्वर साहू, सचिव पवन साहु, रामभरोसा साहू,लखन साहू, पुरुषोत्तम लाल,संतोष सिन्हा,अमृतानंद,संतराम साहु ,ईश्वर सिन्हा,भाजपा किसान संघ से तोमन साहू,आसवन बारले सांसद प्रतिनिधि सहित डा बी आर साहु, भुनेश्वर कौशिक,नेमी लाल , द्वारिका प्रसाद,सहित बालोद,कांकेर दुर्ग एवं राजनांदगांव जिला के सत्संगी जनों ने अपने सद्गुरु ब्रह्म लीन वेदान्त केशरी स्वामी आत्मा राम कुम्भज जी को पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने आश्रम में उपस्थिति दी।

  गुरु आरती, महाप्रसादी ,भोजन भंडारे के साथ कार्यक्रम का संध्या बेला में सभी उपस्थित जनों को आभार व्यक्त करते हुए किया गया।

  उक्ताशय कि जानकारी स्वामी आत्मा राम कुम्भज जी के कृपा पात्र शिष्य पुरुषोत्तम सिंह राजपूत ने प्रदान की।

 

रिपोर्ट खास :- अरुण उपाध्याय बालोद , मो नम्बर :- 94255 72406