मनरेगा ग्रामीणों के जीवन में खुशियो के साथ विकास में व्यापक बदलाव ला रही है

आर के देवागन

मनरेगा ग्रामीणों के जीवन में खुशियो के साथ विकास में व्यापक बदलाव ला रही है
मनरेगा ग्रामीणों के जीवन में खुशियो के साथ विकास में व्यापक बदलाव ला रही है

मनरेगा ग्रामीणों के जीवन में खुशियो के साथ विकास में व्यापक बदलाव ला रही है

गुण्डरदेही। मनरेगा न सिर्फ मजदूरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहा है बल्कि उनके जीवन में व्यापक बदलाव भी ला रहा है। बीते वित्त वर्ष में लक्ष्य से भी अधिक कार्य दिवस मजदूरों को उपलब्ध कराने के साथ मजदूरों की सुविधा के लिए कई कदम सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। ग्रामीणों की जिंदगी में बदलाव लाने एवं उन्हें रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य के साथ केन्द्र सरकार की ओर से साल 2006 में मनरेगा की शुरूआत की गई थी। योजना के तहत सरकार, ग्रामीण क्षेत्र के अकुशल मजदूरों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन की रोजगार की गारंटी देती है, जिससे वह अपने जीवन यापन के लिए कमाई कर सकें।

महिलाओं को समान अवसर-

          महिला श्रमिकों के लिए भी मनरेगा में रोगजार के समान अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को भी मातृत्व भत्ता प्रदान किया जा रहा है, जिसके तहत 50 दिन काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को एक माह की मजदूरी के समान राशि भत्ते के रूप में दी जाती है। ऑनलाइन अटेंडेंस- मनरेगा में सुधार की दिशा में एक और अहम कदम बढ़ाते हुए मजदूरों की हाजिरी भी ऑनलाइन कर दी गई है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करने श्रमिकों को कार्यस्थल पर पहुंचकर नेशनल मोबाइल मानिटरिंग सिस्टम एप पर रजिस्टर कराना होता है।

सीधे खाते में पैसे-

      श्रमिकों को एक बड़ी सहूलियत यह भी दी गई कि पैसे सीधे उनके खाते में आने लगे। आधार बेस्ड भुगतान प्रक्रिया शुरू करने से अब मजदूरी सीधे ऑनलाइन उनके खाते में जमा किया जा रहा है। मनरेगा कार्य में फर्जी हाजिरी आदि को शिक्षित ग्रामीण अपने मोबाईल, च्वाईसेंटरों में जाकर ऑनलाईन सुविधा से जानकारी प्राप्त कर सकते है।


योजना के तहत छत्तीसगढ़ में मजदूरों को 150 दिनों का काम दिया जाता है। विकासखंड गुण्डरदेही के कुल 159 गॉवों में कुल 29 हजार 900 मजदूर इस स्कीम के तहत पंजीकृत हैं। स्वयं के साथ मनरेगा के 12 तकनीकी सहायकों द्वारा मनरेगा अंतर्गत चलने वालों का मौके पर पहुंवकर निरीक्षण, अवलोकन करते है।


 - जी.एस. सिन्हा एसडीओ आरईएस

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