जिले के गुरुर के वनांचल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र ग्राम पंचायत बढहुम में संचालित आदिवासी बालक आश्रम में शिक्षकों की कमी ग्रामीणों ने की शिकायत पदस्थ हेडमास्टर एवं चपरासी रहते है गायब जांच के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं ग्रामीणों का कहना प्रशासन से मिला है आश्वशान

जिले के गुरुर के वनांचल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र ग्राम पंचायत बढहुम में संचालित आदिवासी बालक आश्रम में शिक्षकों की कमी ग्रामीणों ने की शिकायत पदस्थ हेडमास्टर एवं चपरासी रहते है गायब जांच के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं ग्रामीणों का कहना प्रशासन से मिला है आश्वशान
जिले के गुरुर के वनांचल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र ग्राम पंचायत बढहुम में संचालित आदिवासी बालक आश्रम में शिक्षकों की कमी ग्रामीणों ने की शिकायत पदस्थ हेडमास्टर एवं चपरासी रहते है गायब जांच के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं ग्रामीणों का कहना प्रशासन से मिला है आश्वशान

 

  जिले के गुरुर के वनांचल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र ग्राम पंचायत बढहुम में संचालित आदिवासी बालक आश्रम में शिक्षकों की कमी ग्रामीणों ने की शिकायत

   पदस्थ हेडमास्टर एवं चपरासी रहते है गायब जांच के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं ग्रामीणों का कहना प्रशासन से मिला है आश्वशान

बालोद :-जिले के गुरुर विकासखंड के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र ग्राम पंचायत बड़भूम में संचालित आदिवासी बालक आश्रम दो शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। ग्रामीणों ने शिकायत की है कि यहां के हेडमास्टर गोवर्धन नागवंशी एक माह से स्कूल नहीं आ रहे हैं। एक अधीक्षक एवं दो शिक्षक पदस्थ हैं।

   आरोप है कि गोवर्धन नागवंशी स्कूल आने के बाद भी बच्चों को पढ़ाने के बजाय सो जाते हैं। स्थिति को देखते हुए अधीक्षक अब बच्चों को पढ़ाई के लिए लगातार प्रेरित कर रहे है।

   इस आश्रम में बस्तर क्षेत्र के कोडेकुरसे, मनहाकाल, कनेचुर (अंतागढ़), करेसडीह (गरियाबंद), कुरस्तीपुर कांकेर, कोरोंडी कोयलीबेड़ा, मेट्टाबादोली, अमोडी, सुरेवाही, खुंटगांव अंतागढ़, भानुप्रतापपुर क्षेत्र के बच्चे पहली से पांचवीं तक पढऩे आते हैं।शिकायत के बाद 15 दिन पूर्व सहायक एबीओ डोमन भुआर्य जांच करने आए थे।

    जिसमें बच्चों ने बताया था कि गोवर्धन नागवंशी पढ़ाई नहीं कराते बल्कि सो जाते हैं। सीएससीएम के. राजपूत ने बताया कि आचार संहिता के पहले से मेडिकल में अनफिट में है।

   फिट होने के बाद ज्वाइन करेंगे। शाला प्रबंधन समिति के लोगों ने बताया कि आश्रम के रहन-सहन, खानपान, पढ़ाई एवं स्वच्छता के प्रति आदिवासी बालक आश्रम को बालोद जिला में उत्कृष्ट कार्य करने शासन ने पुरस्कृत किया है। बावजूद शिक्षकों की लापरवाही के कारण संस्था को बदनाम कर रहे है।

   गोवर्धन नागवंशी को हटा कर दूसरे शिक्षक को पदस्थ करने की मांग कर रहे हैं। आदिवासी आश्रम में दो चपरासी नियमित हंै। एक चपरासी लगातार अनुपस्थित है, जिसके कारण साफ-सफाई में भी दिक्कत हो रही है। सुबह-शाम केवल एक चपरासी के माध्यम से भोजन तैयार किया जा रहा है।

   यहां चपरासी की आवश्यकता है। बच्चों का भोजन बनाने, परोसने, साफ-सफाई के लिए केवल एक चपरासी पर लोड पडऩे लगा है। आश्रम अधीक्षक ज्ञानेंद्र सुधाकर ने बताया कि शिक्षक गोवर्धन नागवंशी के शाला नहीं आने से ज्यादा परेशानी हो रही है।

   यहां केवल एक शिक्षक पांच कक्षा को कैसे पढ़ा सकते हैं। इसलिए मुझे भी समय समय में अध्यापन कराना पड़ता है।बीईओ ललित चंद्राकर ने बताया कि शिक्षक गोवर्धन नागवंशी की जांच कर उचित कार्रवाई के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को जानकारी भेज दी गई है।

   सहायक आयुक्त मेनका चंद्राकर ने कहा कि चपरासी के संबंध में जानकारी लेकर उचित कार्यवाही की जाएगी। व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाएगा।

रिपोर्ट खास :- अरुण उपाध्याय बालोद

मो नम्बर :- 94255 72406