तांदुला नदी की सफाई अभियान एक सप्ताह से जारी हैं। इस अभियान में कलेक्टर जनमेजय ने तांदुला को जाते-जाते एक नई संजीवनी दे गए जानिए आगे ख़बर में

तांदुला नदी की सफाई अभियान एक सप्ताह से जारी हैं। इस अभियान में कलेक्टर जनमेजय ने तांदुला को जाते-जाते एक नई संजीवनी दे गए जानिए आगे ख़बर में
तांदुला नदी की सफाई अभियान एक सप्ताह से जारी हैं। इस अभियान में कलेक्टर जनमेजय ने तांदुला को जाते-जाते एक नई संजीवनी दे गए जानिए आगे ख़बर में

तांदुला नदी की सफाई अभियान एक सप्ताह से जारी हैं। इस अभियान में कलेक्टर जनमेजय ने तांदुला को जाते-जाते एक नई संजीवनी दे गए जानिए आगे ख़बर में 

बालोद-जिले के तांदुला नदी की सफाई अभियान एक सप्ताह से जारी हैं। इस अभियान में कलेक्टर जनमेजय ने तांदुला को जाते-जाते एक नई संजीवनी दे गए। हर रोज यह अभियान नई जोश के साथ शुरू होता है। पहले दिन अभियान में क्या कमी रही इसकी समीक्षा कर दूसरे दिन उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है। काफी हद तक नदी की सफाई कर ली गई है। वहीं, जो योजना बनी है वह आगे बढ़ती है तो निश्चित रूप से आने वाले दिनों में नदी की सूरत कुछ और नजर आने लगेगी। जलकुंभी निकालने तीन चैन माउंटेन मशीन लगाए गए है। बारिश के मौसम को देखते हुए अभियान को और तेज किया जा रहा है। इसके बाद सुंदरीकरण के लिए जल संसाधन विभाग ने जो योजना बनाई है। इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। 

नदी के दोनों छोर किए जाएंगे सुंदरीकरण का कार्य 

सफाई अभियान की देखरेख कर रहे तांदूला जल संसाधन विभाग के एसडीओ केके वर्मा ने बताया कि कलेक्टर की मंशा के अनुरूप नदी के दोनों छोर का सुंदरीकरण किया जाएगा। दोनों किनारों पर सड़क को ऊंचा कर आकर्षक रोशनी से सजाया जाएगा। योजना के तहत पुल पर भी आकर्षक लाइट लगाई जाएगी। इस तरह नदी न केवल स्वच्छ नजर आएगी बल्कि सुंदरता भी बढ़ जाएगी।योजना के मुताबिक तांदुला नदी में पुल से लेकर एनीकट तक मत्स्य पालन के लिए दिया गया लीज भी रद्द किया जाएगा। इसके पीछे के कारण बताया जा रहा है कि मछली पालन नहीं होने से पानी स्वच्छ रहेगा और जलकुंभी फिर वहां पैदा होने की संभावना कम रहेगी। इसके साथ पानी भी साफ रहेगा। 

एनीकट के नीचे जलकुंभी को भी निकाला जाएगा 

सफाई के दौरान कुछ जलकुंभी बह कर एनीकट के नीचे चले गए हैं। वह और आगे जाकर परेशानी पैदा ना करें इसलिए उन जलकुंभी को भी निकाल कर नदी के किनारे के गड्ढों में डाला जाएगा। इससे नदी स्वच्छ हो जाएगी और जलकुंभी बह कर आगे के गांव में जाकर परेशानी पैदा नहीं करेगी। 

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