खबर का असर किसानों के हित में हुआ फैसला, दूध बेचने की मिली स्वतंत्रता, दूध गंगा प्रबंधन ने रेट भी बढ़ाया

खबर का असर  किसानों के हित में हुआ फैसला, दूध बेचने की मिली स्वतंत्रता, दूध गंगा प्रबंधन ने रेट भी बढ़ाया
खबर का असर  किसानों के हित में हुआ फैसला, दूध बेचने की मिली स्वतंत्रता, दूध गंगा प्रबंधन ने रेट भी बढ़ाया

 

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किसानों के हित में हुआ फैसला, दूध बेचने की मिली स्वतंत्रता, दूध गंगा प्रबंधन ने रेट भी बढ़ाया

 बालोद :- बालोद नगर की दूध गंगा सहकारी समिति के द्वारा पशुपालकों किसानों को यह फरमान जारी किया गया था कि जो दूसरे लोगों के पास दूध बेचेंगे। उनका दूध हम नहीं खरीदेंगे।

  इस बात को लेकर विवाद छिड़ा हुआ था और नाराज पशु पालक ने सामूहिक रूप से कलेक्टर से शिकायत की थी।

  मामले में कबीर मंदिर बालोद में शनिवार को दोनों पक्षों की बैठक बुलाई गई।

 जहां पशु विभाग और सहकारिता विभाग के अधिकारियों के मौजूदगी में पशुपालक और दूध गंगा प्रबंधन के बीच पूरे बिंदुओं पर चर्चा हुई।

   सभी पहलू को ध्यान में रखते हुए किसानों के हित में निर्णय लिए गए और एकाधिकार संबंधी फरमान को वापस लेते हुए दूध गंगा प्रबंधन और किसानों के बीच तय हुआ कि जो जहां जैसा दूध बेचना चाह रहे बेच सकते हैं।

   दूध गंगा प्रबंधन ने अपनी बात रखते हुए यह भी कहा कि हम इस सत्र ₹40 प्रति लीटर की दर से दूध खरीद रहे हैं।

  ₹35 कुछ माह पहले तक खरीदा जा रहा था। लेकिन उसका भी डिफरेंट राशि 5 रुपए मार्च तक की स्थिति में 4 अप्रैल को किसानों को दे दिया जाएगा।

 इस तरह अब आने वाले सत्र के लिए ₹40 प्रति लीटर की दर से ही दूध खरीदा जाएगा। इससे किसानों को लाभ होगा। वही किसान अपना दूध बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।

  कोचियानुमा किसान नहीं उठा सकेंगे दूध गंगा का लाभ तो दूसरी ओर किसानों और दूध गंगा प्रबंधन के बीच इस बात पर सहमति हुई कि कोचियानुमा किसानों से दूध गंगा में दूध नहीं खरीदा जाएगा।

  जिसमें यह तय किया गया कि कुछ किसान ऐसे हैं जो दूसरे पशुपालकों से दूध कलेक्शन करके दूध गंगा में बेचने के लिए लाते हैं।

 वे दूसरों से कम में दूध लेते हैं और यहां आकर ज्यादा लाभ लेते हैं।इससे कई बार अचानक आवक बढ़ जाती है। और रेट कम करना पड़ जाता है।

  इससे अन्य किसानों को नुकसान होता है जो नियमित साल भर दूध बेचते रहते हैं। इस पर किसानों और प्रबंधन समिति ने एक राय होकर तय किया कि ऐसे किसानों का दूध नहीं खरीदा जाएगा। जो कलेक्शन करके लाते हैं।

 यानी मूल किसानों के लिए सहकारिता विभाग और पशु विभाग के जरिए यह दूध गंगा संस्थान स्थापित है तो उनके हित में ही काम किया जाएगा।

 कोचिया गिरी करके दूध बेचने वाले लोगों को इसका लाभ नहीं दिलाया जाएगा। इस पर दोनों पक्ष सहमत हुए हैं।

 किसानों ने जताई खुशी कुछ दिन पहले दूध गंगा प्रबंधन द्वारा विवादित आदेश चस्पा किया गया था।

  जिसमें कहा गया था कि कोई पशुपालक अगर दूसरे जगह दूध बेचते हैं तो उनका दूध, दूध गंगा प्रबंधन नहीं खरीदेगी ।

  इससे पशुपालकों में आक्रोश था और मामले में न्याय की मांग की जा रही थी। अंततः किसान हित में फैसले हुए हैं।

 जिस पर पशुपालक किसानों ने शासन प्रशासन और मीडिया का आभार जताया है।

रिपोर्ट खास :- अरुण उपाध्याय बालोद

मो नम्बर :- 94255 72406