नेशनल लोक अदालत में निराकृत किए गए 26 हजार 762 मामले ....

नेशनल लोक अदालत में निराकृत किए गए 26 हजार 762 मामले ....
नेशनल लोक अदालत में निराकृत किए गए 26 हजार 762 मामले ....

नेशनल लोक अदालत में निराकृत किए गए 26 हजार 762 मामले .... 

बालोद //राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार वर्ष 2022 में आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत के अनुक्रम में न्यायमूर्ति श्री अरूप कुमार गोस्वामी मुख्य न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन एवं माननीय श्री न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार 13 अगस्त 2022 को छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाकर राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से कुल 26 हजार 762 प्रकरण निराकृत किये गये हैं।

इस नेशनल लोक अदालत में कुल 1,10,28,000 रूपये का अवार्ड पारित किया गया है। उक्त लोक अदालत में प्रकरणों के पक्षकारों की भौतिक तथा वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से उनकी उपस्थिति में निराकृत किये जाने के अतिरिक्त स्पेशल सिटिंग के माध्यम से भी पेटी अफेंस निराकृत किये गये है। नेशनल लोक अदालत में मार्मिकक्षण बहनों ने बांधा भाईयों को राखी

 माननीय जिला न्यायाधीश बालोद डाॅ. प्रज्ञा पचैरी के खण्डपीठ के समक्ष नेशनल लोक अदालत में राजीनामा के लिए एक ऐसा अपील प्रकरण प्रस्तुत हुआ जिसमें भाईयों ने बहनों के पक्ष में हुए निर्णय के विरूद्ध अपील प्रस्तुत किया था।

उक्त प्रकरण में खण्डपीठ की आदरणीय पीठासीन अधिकारी डाॅ. प्रज्ञा पचैरी व सम्मानीय सुलहकर्ता सदस्यगण की समझाईश पर भाईयों ने बहनों के साथ राजीनामा कर पैतृक संपत्ति में बहनों के अधिकार को स्वीकार किया। इस दौरान माननीय पीठासीन अधिकारी की प्रेरणा से बहनों ने अपने भाईयों के साथ पुराने सभी गीले सिकवे भुलाते हुए रक्षाबंधन त्यौहार के उपलक्ष्य में न्यायालय में राखी बांधकर राजीनामा किया।

कुटुम्ब न्यायालय बालोद की न्यायाधीश आदरणीय श्रीमती गिरिजादेवी मेरावी के खण्डपीठ के समक्ष पति पत्नी का धारा 09 हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 दाम्पत्य जीवन की पुनस्र्थापना बाबत् याचिका राजीनामा हेतु रखा गया। जिसमें आदरणीय खण्डपीठ की समझाईश पर दोनों पति-पत्नी अपने मध्य के विवाद को भूलकर पुनः एक साथ जीवन निर्वह करने के लिए राजी हुये इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से बिछड़े हुए पति-पत्नी का हुआ पुनर्मिलन।

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