प्रदेश में नक्सलियों ने फिर उठाया सिर, छह महीने में 76 की हत्या..

प्रदेश में नक्सलियों ने फिर उठाया सिर, छह महीने में 76 की हत्या..

प्रदेश में नक्सलियों ने फिर उठाया सिर, छह महीने में 76 की हत्या
बस्तर में चार साल बैकफुट पर रहे नक्सली एक बार फिर सिर उठा रहे हैं। दहशत का साम्राज्य स्थापित करने नक्सली लोगों को मार रहे हैं। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद डेढ़ साल तक तो सब ठीक रहा पर अब नक्सल मोर्चे पर सरकार की किरकिरी होने लगी है। फोर्स में शामिल अफसर दबी जुबान से कहने लगे हैं कि नक्सल मोर्चे पर राज्य के स्तर पर कोई योजना नहीं है।

बीजापुर जिले में इसी महीने एक एएसआइ, वन विभाग के रेंजर समेत 17 लोगों की हत्या नक्सली कर चुके हैं। इन हत्याओं की सूचना भी पुलिस के पास नहीं पहुंच पा रही है। लोग दहशत में हैं और नक्सली सड़कों तक आकर पोस्टर- पर्चे लगा रहे हैं। नक्सलियों के बढ़ते हौसले की खबर रायपुर ही नहीं दिल्ली तक है। सूत्रों के अनुसार केंद्र के स्तर से भी छत्तीसगढ़ के आला अफसरों से चर्चा कर चिंता जताई जा चुके हैं। बीते दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में बस्तर में बढ़ते नक्सली आतंक पर चर्चा में यह बात सामने आई थी कि अगस्त तक नक्सली कुल 59 लोगों की हत्या कर चुके हैं। अब आंकड़ा 76 पर पहुंच चुका है।

बस्तर में बढ़ती नक्सली वारदातों के बाद चार साल पहले खुफिया तंत्र दुरुस्त करने की कवायद शुरू की गई थी। वर्तमान डीजीपी डीएम अवस्थी के पास जब तक नक्सल मोर्चे की कमान रही नक्सली नियंत्रण में रहे। वह बाइक से नक्सली इलाकों में पहुंच जाते थे। उन्होंने एसआइबी (स्टेट इंटेलीजेंस ब्यूरो) को मजबूत किया। पुलिस के सक्षम जवानों की टीम तैनात की। एसआइबी की सूचना पर फोर्स संदिग्ध इलाकों में दबिश देने लगी। 2018 के विधानसभा चुनाव, लोकसभा के चुनाव, उप चुनाव, पंचायत चुनाव सब पहली बार शांतिपूर्ण ढंग से निपटे, लेकिन अब स्थिति बदल रही है।

बिखर रहा सूचना तंत्र

छह महीने पहले अप्रैल में सरकार ने नक्सल डीजी के पद पर अशोक जुनेजा को बिठाया है। पहले पांच महीने तो कोरोना के कारण वे बस्तर नहीं आए। बीजापुर में हत्याओं के बाद वह एक बार आए। अखबारों में उनकी निष्क्रियता की चर्चा शुरू हुई तो हाल ही में वे दोबारा यहां आए पर इसका कोई खास असर नक्सलियों पर नहीं हुआ। फोर्स के पास सूचनाएं अब आ ही नहीं रहीं हैं।

नक्सलियों को दबाव में रखने की जरूरत है। चार साल की मेहनत से जो माहौल तैयार किया गया था उसे जाया नहीं होने देंगे। मैं खुद जल्द बस्तर जाऊंगा। नक्सल मामले में सख्ती बरती जाएगी।