संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत भी है जरूरी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने की बालोद जिले में संस्कृत विद्यालय खोलने की मांग

संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत भी है जरूरी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने की बालोद जिले में संस्कृत विद्यालय खोलने की मांग
संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत भी है जरूरी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने की बालोद जिले में संस्कृत विद्यालय खोलने की मांग

 

संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत भी है जरूरी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने की बालोद जिले में संस्कृत विद्यालय खोलने की मांग

 

   बालोद :- भारत में सनातन धर्म सब धर्मों का जन्म स्थल माना जाता है। वहीं भाषाओं में संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत भी जरूरी है।

   आज की बढ़ती भौतिकवादीता के युग में संस्कृति को बचाए रखने के लिए हमारे प्राचीन भाषाओं के प्रति रुझान जगाना जरूरी है। ऐसे में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा बालोद जिले में संस्कृत विद्यालय खोले जाने की मांग को लेकर प्रयास किया जा रहा है।

   इस संबंध में जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी के नाम से ज्ञापन सौंपकर बालोद जिले के सभी विकास खंडों में शासकीय गुरुकुल संस्कृत विद्यालय खोलने की मांग की गई है।

  मांग पत्र सौंपने के लिए विश्व हिंदू परिषद बालोद जिला सहमंत्री सतीश विश्वकर्मा विश्व हिंदू परिषद बालोद जिला बालोद से महेंद्र सोनवानी (मोनु) बजरंग दल बालोद जिला संयोजक उमेश कुमार सेन बालोद नगर संयोजक तुषार कुमार ढीमर और बजरंग दल से कमल बजाज आदि ठाकुर श्याम नेताम पप्पू भारती और सभी बजरंगी उपस्थित थे।

   बालोद जिला बजरंग दल जिला संयोजक उमेश कुमार सेन बताया कि बालोद जिले की बढ़ती हुई आबादी के मध्य एक बड़ी तादाद में ऐसे लोग विद्यमान हैं जो अपने बच्चों को समस्त भाषाओं की जननी देव वाणी संस्कृत विषय का अध्ययन करने की गहरी अभिरुचि रखते हैं ।

  ज्ञापन में बताई गई संस्कृत की महत्ता ज्ञापन में कहा गया है कि बालोद जिले के सभी विकास खण्डों में शासकीय गुरुकुल संस्कृत विद्यालय संचालित किए जाए। बालोद जिले की बढ़ती हुई आबादी के मध्य एक बड़ी तादाद में ऐसे लोग विद्यमान हैं जो अपने बच्चों को समस्त भाषाओं की जननी देववाणी "संस्कृत" विषय का अध्ययन कराने की गहरी अभिरुचि रखते हैं। सनातन धर्म के सभी ग्रंथ "संस्कृत" भाषा में लिखे गये हैं, जिसे पढ़ने में रुचि रखने वाले पाठकों (विद्यार्थी/शिक्षार्थी) संस्कृत विद्यालय की स्थापना होने से सहूलियत महसूस करेंगे।

   किंतु खेद है कि बालोद जिले में संस्कृत विद्यालय के अभाव में संस्कृत विषय में अभिरुचि रखने वाले विद्यार्थी/शिक्षार्थी दूर-दराज के जिलों अथवा शहरो में जाकर अध्ययन करने विवश होते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक क्षति तथा अन्य कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

  कई विद्यार्थी/शिक्षार्थी अभिरुचि रखते हुए भी संस्कृत विषय के अध्ययन से वंचित रह जाते हैं। ऐसे विद्यार्थी/शिक्षार्थी अध्ययन पश्चात् समुदाय एवं समाज को सुसंस्कृत करते हुए राष्ट्र सेवा के अपने एक बड़े लक्ष्य से वंचित हो रहे हैं।

  इस परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ शासन की मंशा है कि विद्यार्थी/शिक्षार्थी अन्य भाषाओं और विषयों के अतिरिक्त "संस्कृत" का भी अध्ययन करें, ताकि उनमें सुसंस्कार पुष्ट होते रहें। इसीलिए शासन के द्वारा संचालित अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के आत्मानंद विद्यालयों में "संस्कृत" को भी अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया गया है।

रिपोर्ट खास :- अरुण उपाध्याय बालोद मो नम्बर :- 94255 72406