1930 के रिकॉर्ड में मंदिर के पास की जमीन आदिवासी जमीन थी जहाँ देवी देवताओं का वास है और आस्था भी जानिये पूरा मामला

1930 के रिकॉर्ड में मंदिर के पास की जमीन आदिवासी जमीन थी जहाँ देवी देवताओं का वास है और आस्था भी जानिये पूरा मामला
1930 के रिकॉर्ड में मंदिर के पास की जमीन आदिवासी जमीन थी जहाँ देवी देवताओं का वास है और आस्था भी जानिये पूरा मामला

1930 के रिकॉर्ड में मंदिर के पास की जमीन आदिवासी जमीन थी जहाँ देवी देवताओं का वास है और आस्था भी जानिये पूरा मामला 

बालोद//गुरुवार को शहर के कुंदरुपारा में मंदिर प्रांगण की जमीन को लेकर विवाद हो गया। शीतला मंदिर परिसर के पास वार्डवासियों के देवताओं को रखा गया है। जिसे बगैर अनुमति के हटाने को लेकर वार्डवासियों में भारी नाराजगी है। वार्ड के पार्षद बिरजू ठाकुर ने बताया कि शहर में कुंदरुपारा एक ऐसा वार्ड है। जहां बस्तरिहा रीति रिवाजों से देवी-देवताओं की पूजा सम्पन्न होती है। वार्ड के प्रमुख पुरानी परंपरा को आज भी निभाते आ रहे हैं। शीतला मंदिर के प्रांगण में सतबहिनी माता की मूर्ति और पेड़ है। जिसे बिना अनुमति के हटा दिया।

पेड़ों को काटने की तैयारी थी, ऐसे में सभी वार्डवासी मौके पर पहुंचे तब काम रोका गया।मंदिर की जमीन छोड़ दें: कुंदरुपारा ग्राम प्रमुख अमृत निषाद ने बताया कि मंदिर के पास प्लाटिंग की जा रही है। सामने में सरकारी जमीन है, जिस पर वार्डवासी आपत्ति नहीं कर रहे हैं। सामने वाले को मंदिर की एक डिसमिल जमीन छोड़ देना चाहिए। प्रशासन को सामने आकर वार्डवासियों के देव स्थल की जमीन को मंदिर समिति को वापस कराना चाहिए। शीतला मंदिर समिति के प्रमुख राम भगत निषाद ने बताया कि हमारे पूर्वज इस जगह पर देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे हैं। 1930 के रिकॉर्ड में मंदिर के पास की जमीन आदिवासी जमीन थी। मंदिर स्थित छोटी सी जमीन छोड़ दें, विवाद खत्म हो जाएगा। बालोद-गुरुवार को शहर के कुंदरुपारा में मंदिर प्रांगण की जमीन को लेकर विवाद हो गया।

शीतला मंदिर परिसर के पास वार्डवासियों के देवताओं को रखा गया है। जिसे बगैर अनुमति के हटाने को लेकर वार्डवासियों में भारी नाराजगी है। वार्ड के पार्षद बिरजू ठाकुर ने बताया कि शहर में कुंदरुपारा एक ऐसा वार्ड है। जहां बस्तरिहा रीति रिवाजों से देवी-देवताओं की पूजा सम्पन्न होती है। वार्ड के प्रमुख पुरानी परंपरा को आज भी निभाते आ रहे हैं।

शीतला मंदिर के प्रांगण में सतबहिनी माता की मूर्ति और पेड़ है। जिसे बिना अनुमति के हटा दिया। पेड़ों को काटने की तैयारी थी, ऐसे में सभी वार्डवासी मौके पर पहुंचे तब काम रोका गया। मंदिर की जमीन छोड़ दें: कुंदरुपारा ग्राम प्रमुख अमृत निषाद ने बताया कि मंदिर के पास प्लाटिंग की जा रही है। सामने में सरकारी जमीन है, जिस पर वार्डवासी आपत्ति नहीं कर रहे हैं।

सामने वाले को मंदिर की एक डिसमिल जमीन छोड़ देना चाहिए। प्रशासन को सामने आकर वार्डवासियों के देव स्थल की जमीन को मंदिर समिति को वापस कराना चाहिए। शीतला मंदिर समिति के प्रमुख राम भगत निषाद ने बताया कि हमारे पूर्वज इस जगह पर देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे हैं। 1930 के रिकॉर्ड में मंदिर के पास की जमीन आदिवासी जमीन थी। मंदिर स्थित छोटी सी जमीन छोड़ दें, विवाद खत्म हो जाएगा। 

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