चारों वर्ण परमात्मा ने हीं बनाए हैं लेकिन श्रद्धा हस्त को जातियों के दायरे में रहना चाहिए,, रामबालक दास

चारों वर्ण परमात्मा ने हीं बनाए हैं लेकिन श्रद्धा हस्त को जातियों के दायरे में रहना चाहिए,, रामबालक दास

चारों वर्ण परमात्मा ने हीं बनाए हैं लेकिन श्रद्धा हस्त को जातियों के दायरे में रहना चाहिए,, रामबालक दास


      कृष्ण कुमार जी ने जिज्ञासा रखि कि जो वर्ण विच्छेद हुआ है क्या वह भगवान का बनाया हुआ है जो जाति धर्म हम बटे हुए हैं तो क्या वह भगवान के बनाये हुए हैं, बाबा जी ने बताया कि सृष्टि में जो भी कुछ है वह सब कुछ परमात्मा का बनाया हुआ है पहाड़ नदी वन उपवन जलचर नभचर तो मनुष्य जगत भी भगवान का ही बनाया हुआ है और इसकी जो व्यवस्था है वह भी भगवान की ही बनाई हुई है ताकि हम अनुशासन में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर सके और एक वर्ण व्यवस्था हमारे समाज में बनी रहे ताकि वर्ण शंकर संतान उत्पन्न ना हो जिससे कि मनुष्य विनाश की ओर ना जा सके इसीलिए जो भी व्यवस्था है वह मनुष्य की नहीं केवल और केवल ईश्वर की ही बनाई हुई है और इस व्यवस्था को आज मनुष्य पूरी तरह से अस्त व्यस्त कर रहा है अंतरजातीय विवाह कराए

जा रहे हैं जो कि हमारे धर्म के बिलकुल ही विपरीत है इस तरह से उत्पन्न संताने केवल आप का विनाश ही करेंगी कभी सृजनात्मक या रचनात्मक कार्य समाज में हो ही नहीं सकता क्योंकि यह हमारा धर्म हैँ ही नहीं, कुछ ब्राह्मण केवल धन के लालच में एक जाति  से दूसरी जाति के बच्चों का विवाह भी करवा देते हैं तो सोचिए एक कोर्ट में खड़ा वकील और उस ब्राह्मण में क्या अंतर है , अतः हिंदू धर्म के लोगों को अपने धर्म एवं जाति के अनुसार ही कार्य करना चाहिए सनातन धर्म सर्वोच्च धर्म है
    

रिपोर्ट // नरेन्द्र विश्वकर्मा