अच्छे कर्म आने वाली पीढ़ी तक साथ देता है - संत राम बालक दास जी

अच्छे कर्म आने वाली पीढ़ी तक साथ देता है - संत राम बालक दास जी

प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा विभिन्न ग्रुपो में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे आज भी आयोजित किया गया -
जिसमें भक्त गण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किये 
           आज के सत्संग परिचर्चा में रामेश्वर वर्मा जी ने जिज्ञासा रखी  कि रामायण में माता कैकेई  को लोग बुरा भला कहते हैं कि उन्होंने भगवान श्री रामचन्द्र जी को वनवास दे दिया , क्या उन्हें बुरा ठहराना उचित है।इस पर प्रकाश डालने की कृपा करेंगे गुरु वर, बाबा जी ने बताया कि भगवान श्री राम का अवतार ही मानव कल्याण हेतु हुआ था माता कैकई ने इसमें अपनी भागीदारिता निभाते हुए अपने चरित्र का परिपालन किया और जो लोग इस बात को नहीं समझते वह वास्तव में रामकथा को समझ ही नहीं पाए हैं इसे रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी स्पष्ट किया है, श्री रामचंद्र जी  कहते हैं कि माता केकई को दोष देने वाले  मुढ अज्ञानी ही हो सकते हैं जिन्होंने कभी सत्संग नहीं किया होगा, माता कैकई ने जगत कल्याण हेतु भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास दिया और स्वयं कलंक और वैधव्य का बोझ लेकर जीवन जीया
       रिखि राम साहू  जगदलपुर ने जिज्ञासा रखी की  काल सर्प दोष क्या है इसके गुण और दोष के बारे में जानकारी देने की कृपा करे, बाबा जी ने बताया कि हमारे पूराण में बताया गया है कि जब नवग्रह में सात ग्रहों की स्थिति एक सी हो जाती है और राहु और केतु एक ही स्थिति में आ जाते हैं तब काल सर्प दोष स्थिति बनती है, और यह जातक के कुंडली में आ जाता है और इसे दूर करने के लिए हमारे शास्त्रों में उपाय भी बतया गया है इसके लिए भोलेनाथ पर मिश्री और दूध अर्पित करके फिर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कर तांडव स्त्रोत और रूद्र मंगलाष्टक मंत्रों का उच्चारण  करना चाहिए, कालसर्प दोष को दूर करने के लिए निर्धारित स्थान उज्जैन या फिर नाशिक ज्योतिर्लिंग पर जाकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक पूजन करना चाहिए, या फिर अपने घर या पास की नदी  किनारे शिव मंदिर मे  उनका विधि विधान से पूजन करा के राहु और केतु के निराकरण के लिए विनती कर नाग नागिन चांदी का जोड़ा जल की धारा में प्रवाहित करना चाहिए
          महेंद्र साहू जी, ने जिज्ञासा रखी की मानव जीवन का जन्म लेने के पहले जीवन काल निर्धारित हो जाता है या कर्म के आधार पर , बाबा जी ने बताया कि, हमारे ग्रंथों में बताया गया है कि हमें तीन तरह से भाग्य की प्राप्ति होती हैँ, जन्म लेने के पश्चात और होश आने पर व्यक्ति जो कर्म करता है उसके अनुसार उसे भाग्यफल प्राप्त होता है, जैसे-जैसे वह कर्म करता है उसके हाथ की रेखाएं उसके भाग्य की लकीरें बनती जाती है मानव अच्छा कर्म करेगा तो भाग्य की रेखाएं भी अच्छी होगी और कर्म बुरे होंगे तो उसके हाथ की रेखाएं भी वैसे ही निर्मित होती जाएगी, दूसरा होता है पिछले जन्म में जो कर्म किए हैं उसके अनुसार हमें इस जन्म में कर्म फल प्राप्त होते  हैं और तीसरा होता है हमारे पूर्वज के भाग्य, जो भी हम कर्म  करते हैं वह हमारी आने वाली पीढ़ियों को तारता है और हमारे पूर्वजों ने जो किया है उसे हमें इस जन्म में भी भोगना पड़ता है इसलिए अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छे फल ही प्राप्त होंगे और वह हमारे आने वाली पीढ़ी तक साथ देता है
    इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग बाबा जी के मधुर भजन के साथ संपन्न हुआ 

रिपोर्ट //नरेंद्र विश्वकर्मा