*सरकार ओबीसी की जातिगत जनगणना करें एवं संख्या के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करें* *छत्तीसगढ़ में लंबित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को शीघ्र लागू करें*

*सरकार ओबीसी की जातिगत जनगणना करें एवं संख्या के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करें* *छत्तीसगढ़ में लंबित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को शीघ्र लागू करें*
*सरकार ओबीसी की जातिगत जनगणना करें एवं संख्या के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करें* *छत्तीसगढ़ में लंबित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को शीघ्र लागू करें*

*सरकार ओबीसी की जातिगत जनगणना करें एवं संख्या के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करें* *छत्तीसगढ़ में लंबित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को शीघ्र लागू करें*

बालोद:- ओबीसी महासभा प्रदेश इकाई छत्तीसगढ़ के आह्वान पर सभी जिला , अनुभाग एवं तहसील मुख्यालयों में 4 बिंदु पर ज्ञापन सौंपा गया। प्रमुख मांगों पर प्रकाश डालते हुए प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी राधेश्याम ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी की जातिगत जनगणना कराए जाने हेतु जननगणना फार्म में ओबीसी का कालम जोड़ने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजते हुए ओबीसी महासभा की मांग से अवगत किया जाना, ओबीसी आरक्षण में लागू की गई असंवैधानिक क्रीमी लेयर की शर्तों को समाप्त किया जाए, मंडल आयोग द्वारा की गई 40 अनुशंसाओं को पूर्णतः लागू किया जाए एवं छत्तीसगढ़ में लंबित 27% ओबीसी आरक्षण को शीघ्र लागू किया जावे।उक्त ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति ,माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के नाम सभी जिला कलेक्टर/ एसडीएम /तहसीलदार के माध्यम से सौंपा गया ।उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार प्रतिमाह ओबीसी महासभा द्वारा ज्ञापन सौंपा जा रहा है जिसमें प्रमुख रूप से जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी का कॉलम बनवाने हेतु ओबीसी महासभा ने प्रतिबद्धता जारी की है ।सर्वविदित है कि संविधान में सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदायों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में तीन वर्गों में रखा है ।जनगणना में इन तीनों वर्गों की दशाओं के आंकड़े एकत्रित किए जाने चाहिए ,लेकिन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनगणना तो होती है किंतु अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना नहीं होती है क्योंकि जनगणना फॉर्म में ओबीसी वर्ग का पृथक से कॉलम नहीं होता है उन्होंने आगे बताया कि जनगणना का मकसद भारतीय समाज की विविधता से जुड़े तथ्यों को सामने लाना है ताकि देश को समझने का रास्ता खुल सके। इन आंकड़ों का इस्तेमाल नीतिनिर्माताओं से लेकर समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री ,जनसंख्याविद और आँकडा़विज्ञानी करते हैं। जनगणना में तमाम जातियों के आंकड़े जुटाए जाएं तभी जनगणना का उद्देश्य पूरा होता है भारत में पहली बार जनगणना अट्ठारह सौ बहत्तर में हुई और 1881 के बाद से हर 10 साल पर जनगणना हो रही है ।भारत में 1931 तक हर जातियों की गिनती होती थी ।जनगणना की रिपोर्ट में हर जाति की संख्या और उनकी शैक्षणिक एवंआर्थिक हालत का ब्यौरा होता था। 1941 की जनगणना में भी जाति का कॉलम था ,लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के जारी होने के कारण इस जनगणना का काम सुचारू रूप से नहीं हो पाया और आंकड़े नहीं आए इसलिए आज भी जाति के किसी आंकड़े की जरूरत होती है तो 1931 की जनगणना रिपोर्ट का ही हवाला दिया जाता है 1931 की जनगणना के आधार पर ही द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग यानी मंडल कमीशन ने पिछड़ी जातियों की आबादी 52% बताई थी और उसके आरक्षण की सिफारिश की थी संविधान के अनुच्छेद 340 के परिपालन में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए गठित आयोगों( काका कालेलकर आयोग मंडल आयोग एवं मध्य प्रदेश राम जी महाजन आयोग) द्वारा अन्य पिछडे वर्ग की जनगणना कराए जाने बाबत अनुशंसाए की गई है। तदनुसार इस हेतु संसद में बनी सहमति के आधार पर जनगणना 2011 में पृथक से अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े एकत्र करने का प्रयास किए गए ,किंतु आंकड़े जारी नहीं किए गए ।ओबीसी महासभा लंबे समय से प्रतिमाह ज्ञापन देकर जनगणना 2021 के फॉर्मेट में ओबीसी का कालम बनवाने शासन प्रशासन से निवेदन किया जाता रहा है लेकिन पूर्व की भांति इस बार भी जनगणना फॉर्मेट में अन्य पिछड़ा वर्ग का कॉलम नहीं है फल स्वरूप ओबीसी वर्ग की जनसंख्या तथा उसकी परिस्थितियों का आकलन नहीं हो पाएगा जिससे ओबीसी वर्ग के विकास करने की संवैधानिक मनसा फिर अपूर्ण रह जाएगी। जनगणना 2021 के फॉर्मेट में कॉलम 13 में ओबीसी के लिए कोड नंबर 3 और सामान्य के लिए कोड नंबर 4 लिखें जाने का विकल्प बनवाने हेतु प्रस्ताव को पारित करवाकर केंद्र सरकार को पहुंचाने ओबीसी महासभा द्वारा चरणबद्ध ढंग से समय-समय पर ज्ञापन सौंपा गया है ।उन्होंने आगे बताया कि ओबीसी महासभा की जायज संवैधानिक मांग पर ओबीसी महासभा को आश्वस्त करें कि जनगणना फॉर्मेट के कॉलम नंबर 13 में ओबीसी का कोड नंबर 3 रहेगा या नहीं। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो ओबीसी समाज के सामने जनगणना 2021 का बहिष्कार करने के अलावा अन्य विकल्प नहीं होगा, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी ।उन्होंने आगे प्रदेश भर में यह संकल्प भी दोहराया की हम विभिन्न चरणों में लोकतांत्रिक गतिविधियों से उक्तार्थ अंत तक प्रयास करते रहेंगे । उक्त ज्ञापन के अवसर पर प्रमुख रूप से ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी राधेश्याम ,जिला संयोजक चतुर्भुज साहू ,टी एल सिन्हा, वैदनाथ पटेल ,सी एल साहू ,चंद्र कुमार साहू राकेश देवांगन, रवि यादव ,टोमिन देवांगन, द्रोपदी सोनसार्वा, राधा साहू प्रदीप कुमार, जितेंद्र कुमार निषाद ,बुध लाल साहू ,नेपाल साहू राहुल ,पीएल साहू, देवेंद्र कुमार, त्रिवेणी साहू ,लक्ष्मी, रमन ,राजू साहू एवं बड़ी संख्या में ओबीसी महासभा के पदाधिकारी सम्मिलित हुए साथ ही बालोद जिले के डौंडीलोहारा अनुविभागीय अधिकारी को प्रदेश कोषाध्यक्ष महावीर कलिहारी एवं पुनेश्वर देवांगन के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया एवं देवरी उप तहसील में महिला मोर्चा के जिलाध्यक्ष खिलेश्वरी साहू के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया जिसमें प्रमुख रुप से पोषण लाल देवांगन सरपंच संघ ब्लॉक अध्यक्ष डौंडीलोहारा, पसौद ग्रामीण इकाई अध्यक्ष महिला मोर्चा कलीन चौधरी एवं अधिक संख्या में ओबीसी समाज के लोग शामिल हुए हैं ।इस प्रकार प्रदेश एवं संभाग ,जिला तहसील एवं ग्रामीण इकाई के पदाधिकारियों ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों अनुभाग एवं तहसील मुख्यालय में ज्ञापन सौंपा