• जिला  एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है बुरा हाल जनहित से जुड़ी 12 प्रमुख सेवाओं में प्रसव भी शामिल लेकिन यह है। 10 महीने में एक भी प्रसव नहीं, 196 मे में से 80 उप स्वास्थ्य केंद्र रेड जोन में जिले के स्वास्थ्य केंद्र एनएचएम के भरोसे

• जिला  एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है बुरा हाल जनहित से जुड़ी 12 प्रमुख सेवाओं में प्रसव भी शामिल लेकिन यह है। 10 महीने में एक भी प्रसव नहीं, 196 मे में से 80 उप स्वास्थ्य केंद्र रेड जोन में  जिले के स्वास्थ्य केंद्र एनएचएम के भरोसे
• जिला  एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है बुरा हाल जनहित से जुड़ी 12 प्रमुख सेवाओं में प्रसव भी शामिल लेकिन यह है। 10 महीने में एक भी प्रसव नहीं, 196 मे में से 80 उप स्वास्थ्य केंद्र रेड जोन में  जिले के स्वास्थ्य केंद्र एनएचएम के भरोसे

 

• जिला  एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है बुरा हाल जनहित से जुड़ी 12 प्रमुख सेवाओं में प्रसव भी शामिल लेकिन यह है। 10 महीने में एक भी प्रसव नहीं, 196 मे में से 80 उप स्वास्थ्य केंद्र रेड जोन में

जिले के स्वास्थ्य केंद्र एनएचएम के भरोसे

 

बालोद :-  जिले के ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें, स्वास्थ्य से जुड़े 12 सेवाओं का तत्काल लाभ मिल सकें। जिसमें प्रसव भी शामिल है। इस उद्देश्य से 5 ब्लॉक में 196 उप स्वास्थ्य केंद्र (हेल्थ वैलनेस सेंटर) संचालित हो रहा है।

   लेकिन इनमें से 80 केंद्र ऐसे हैं, जहां अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक यानी 10 माह में एक भी सामान्य प्रसव नहीं हो पाया है। जिसे स्वास्थ्य विभाग ने रेड जोन में रखा है।

     आपको बता दे कुछ जगहों पर बाबुराज है वर्षों से जमे एक ही जगह पदस्थ कर्मचारियों की वजह से भी एक तरफा उन्ही लोगो का रॉब कायम है।

   स्वास्थ्य विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा होने के बाद बीएमओ, संबंधित केंद्र प्रभारियों को व्यवस्था में सुधार लाने निर्देश दिए है।

  ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावों के बीच वास्तविकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। भले ही विभागीय अफसर तर्क दे रहे हैं, कि कई केंद्र में जगह की कमी है, कर्मचारी की कमी है, लेकिन व्यवस्था सुधारने ध्यान नहीं दे रहे है। जिसका खामियाजा गर्भवती महिलाओं व परिजनों को भुगतना पड़ रहा है।

   30 पीएचसी में प्रसव की ऐसी स्थिति, कहीं कम तो कहीं ज्यादा

 बालोद ब्लॉक : - अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक लाटाबोड़ पीएचसी में सबसे ज्यादा 127, करहीभदर में 114, पीपरछेड़ी में 75, ज सांकरा पीएचसी में मात्र 39 प्रसव हुआ।

  ■ • गुंडरदेही ब्लॉक कुरदी में सबसे ज्यादा 151, गुरेदा में 118, माहुद बी में 90, भरदाकला में 56, कलंगपुर में 4 46, बेलौदी में 45, खुरसुनी में 41, सिरसिदा में 29, सांकरी में 21, रनचिरई पीएचसी में 20 प्रसव हुआ।

    ■जानिए, इन गांवों के स्वास्थ्य केंद्रों में अप्रैल 2023 से एक भी प्रसव नहीं हुआ अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक बेलमांड, दैहान, करहीभदर, लाटाबोड़, परसदा, भैंसबोड़, बिटाल, दल्ली के चंदनीभाठा, गांधी चौक, केकतीपारा, पंडरदल्ली 1 और 2, पुरानाबाजार, खलारी, कुसुमकसा, कुआगोंदी, मगरदाह, पथराटोला, पुत्तरवाही, रजही, टेकाढोड़ा, ठेठवारपारा, देवरी, अछोली, अनूटोला, बंजारी, भंवरमरा, गहिरा नवागांव, गैंजी, गणेश खपरी, गारका, हड़गहन, कॅवट नवागांव, खड़बत्तर, खैरकट्टा, कोचेरा, महाराजपुर, मनकी, मरसकोला, पापरा, पिनकापार, राघोनवागांव, रानीतराई, राणाखुज्जी, रेंगाडबरी, सहगांव, संबलपुर, संबलपुर नाहंदा, टटेंगा, अचौद, बेलौदी, भरदाकला, भोथीपार, बिरेतरा, चीचा, गोरकापार, गुरेदा, हल्दी, कसौंदा, खुरसुनी, कोटगांव, माहुद बी, रजोली, सिब्दी, अरकार, अरमरीकला, बागतराई, बासीन, भरदा, डोकला, डोटोपार, करेंझर, कोचवाही, नरबदा, पुरूर, सोरर, सुर्रा, तारों में संचालित स्वास्थ्य केंद्र में एक भी प्रसव नहीं हुआ।

 • डौंडी लोहारा ब्लॉकर मंगचुआ में सबसे ज्यादा 166, सुरेगांव में 96, अरजपुरी में 68, नाहंदा में 58, दुबचेरा में 49, पिनकापार व संजारी में 31-31, भंवरमरा पीएचसी में 25 प्रसव हुआ।

  ◆ डौंडी ब्लॉक : -रिपोर्ट से पता चला है कि चिखलाकसा में सबसे ज्यादा 88, घोटिया में 79, आमाडुला में 36 और सुरडोंगर पीएचसी में सबसे कम 29 प्रसव ही हो पाया है।

 ◆ • गुरूर ब्लॉक : -विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पलारी में सबसे ज्यादा 128, पुरूर में 95, बोड़रा में 46 और अरमरीकला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सबसे कम 33 प्रसव हुआ।

 ◆ भैंसबोड़ में सीएचओ व आरएचओ नहीं, बिटाल में पुरुष कर्मचारी हैं । भैंसबोड़ में सरकारी रिकॉर्ड में पिछले 10 माह से प्रसव नहीं हो रहा है, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार पिछले 5 साल से एक भी प्रसव नहीं हुआ है।

  वजह यह है कि यहां प्रभारी एएनएम के भरोसे कामकाज हो रहा है।

 स्थिति ऐसी है कि यहां आरएचओ व सीएचओ नहीं है। भैंसबोड़ में सुअरबोड़ में पदस्थ एएनएम को जिम्मेदारी दी गई है। वहीं बिटाल में पुरुष कर्मचारी है। इस वजह से प्रसव नहीं हो पा रहा है।

  कुसुमकसा में जब प्रसव केस आते है तो चिखलाकसा, दल्लीराजहरा या अन्य स्थान के अस्पताल में केस को रेफर कर देते हैं। यूं कहे कि गांव में प्रसव की सुविधा नहीं मिलने से गर्भवती व परिजनों को 15 से 20 किमी का सफर कर दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

◆◆◆ जिला मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेएल उइके, ने क्या कहा कई स्वास्थ्य केंद्रों में महिला कर्मचारी नहीं हैं जिसकी मांग शासन से भर्ती हेतु रखा गया है। वर्षों से जमे एक ही जगह पर पदस्थ कर्मचारियों को भी सुव्यवस्थित किया जाएगा जिससे प्रशासन में कसावट आये और सीखने का अवसर भी मिलेगा।

        • बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं

 ●● उपलब्ध कराने के दावे के बीच जिले के 196 में से 80 केंद्र रेड जोन में है? - जिले में 25 से ज्यादा केंद्र ऐसे हैं, जहां खुद का भवन नहीं है। कई केंद्रों में महिला कर्मचारी नहीं है।

●● • लेकिन रिपोर्ट में 80 केंद्र ऐसे है, जहां 10 माह से एक भी प्रसव नहीं हो पाया? कई गांवों में उप स्वास्थ्य केंद्र के अलावा पीएचसी संचालित हो रही है। इस वजह से वहां प्रसव नहीं हो रहे हैं।

  • गांव में प्रसव की सुविधा नहीं मिलने से गर्भवती व परिजन भटकने मजबूर हो रहे है?

- कई लोग गांव में सुविधा होने के बावजूद अपनी इच्छानुसार प्राइवेट अस्पताल में प्रसव कराने पहुंचते हैं।

●● • सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में सुविधा नहीं मिल रही, इसलिए मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ रहा है?

●● -जिला चिकित्सालय में कुछ हप्ते पहले तीन गर्भवती महिलाओं का भर से एन्थिसिया बुलवाकर सफलता पूर्वक सीजर ऑपरेशन से प्रसव हुआ है।

  जिला चिकित्सालय में एन्थिसिया कमी है जिसे शासन से मांग किया गया है यहां की जानकारी लेकर सुधार के लिए प्रयास करेंगे।

रिपोर्ट खास :- अरुण उपाध्याय बालोद

मो नम्बर :- 94255 72406