देवी देवताओ का वास होता है गौमाता में -.`श्री राम बालकदास होता

देवी देवताओ का वास होता  है गौमाता में -.`श्री राम बालकदास होता

देवी देवताओ का वास होता  है गौमाता में -श्री राम बालकदास होता 

पाटेश्वर धाम की संत राम बालक दास जी के द्वारा प्रतिदिन सीता रसोई संचालन ग्रुप के साथ  में प्रातः 10:00 बजे से संत श्री के द्वारा संचालित सभी व्हाट्सएप ग्रुपों में ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से गांव से  शहरों से लोग जुड़ रहे हैं 1 घंटे का है ऑनलाइन सत्संग भक्ति भाव भजनों से परिपूर्ण ज्ञान का माध्यम है इसमें भक्तगण अपनी सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं एवं जिज्ञासाओं का  उचित उत्तर प्राप्त कर ज्ञान की वृद्धि करते हैं
          आज की ऑनलाइन सत्संग परिचर्चा में नरेंद्र दास जी ने गोमूत्र और गो अर्क के प्रभाव को जानने की विनती बाबाजी से की, बाबा जी ने गौ माता के महत्व को बताते हुए कहा कि गौ माता में सभी देवी देवताओं का वास होता है गोमूत्र में भी गंगा जी का वास है उसी तरह गोबर मे लक्ष्मी जी का वास है गोबर गोमूत्र गाय का दिया गया वरदान है जितना प्रभाव गंगा जी का होता है उतना ही प्रभाव गोमूत्र का है यह औषधीय तत्व लिए हुए भी है
              रोहित कुमार जंघेल जी कालेगोंदी ने जिज्ञासा रखते हुए प्रश्न किया कि रामचरितमानस में  गरुड़ जी एवं काकभुसूंड की संवाद पर प्रकाश  डालने की कृपा करें गुरु देवजी, इस प्रसंग को स्पष्ट करते बाबा जी ने बताया कि उत्तर रामायण जो है वह संपूर्ण रामचरितमानस का  सार है इसे हर व्यक्ति को जिज्ञासु मन से अवश्य पढ़ना चाहिए जिसमें गरुड़ जी ने प्रश्न कीये है और काकभुशुंडि जी ने इसके उत्तर दिए हैं इसमें सप्त प्रश्न है, मानस रोग के विषय में ज्ञान है तो कलयुग का वर्णन भी इसमें है इसे गरुड़ गीता भी कहा जाता है इसी के एक प्रसंग को स्पष्ट करते बाबा जी ने बताया कि गरुड़ जी काग भुसुंडि जी से प्रश्न करते हैं कि सबसे बड़ा सुख कौन सा है और सबसे बड़ा दुख कौन सा है तो इस पर काग भुसुंडि उत्तर देते हैं कि संत मिलन से बड़ा सुख नहीं क्योंकि वही हमारे विवेक का जागरण करते हैं तभी मनुष्य  पशुता का त्याग कर मनुष्य बनता है और सत्य का बोध होता है वैसे ही सबसे बड़ा दुख गरीबी आ अभाव नहीं बल्कि दरिद्रता है
           मानस मर्मज्ञ पाठक परदेसी जी जिज्ञासा रखी की रावण की पुत्रवधू नागकन्या सुलोचना प्रसंग पर प्रकाश डालने की कृपा हो , इसे स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि रामचरितमानस में सुलोचना वह महान स्त्री है जो राक्षसों के बीच फंस जाती है उन्होंने अपने नागवंश की रक्षा करने के लिए मेघनाथ से विवाह समझौता किया वह सारा जीवन धर्म का पक्ष लेती रही उनके द्वारा धर्म हित में  गुप्त तंत्र लंका में चलाया जा रहा था उनका स्थान महान सती वृंदा मंदोदरी और उर्मिला के समान ही है

 

रिपर्ट //नरेन्द्र विश्वकर्मा