गायों से ही है हमारा अस्तित्व - रामबालकदासजी

गायों से ही है हमारा अस्तित्व - रामबालकदासजी

गौमाता से ही मानव का अस्तित्व है। यदि धरती पर गाय नहीं होगी तो मनुष्य का अस्तित्व भी संकट में आ जायेगा। गायें होंगी तभी मनुष्य की संस्कृति, मति, गति तथा सद्गति होगी। गाय के बिना जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती।
       नागाबाबा देवस्थान वीरेन्द्रनगर में आयोजित श्री सुरभि महायज्ञ में संत रामबालकदासजी ने गौ महिमा पर प्रकाश डालते हुये कहा कि धरती जब दानवों के अत्याचार से संतप्त हो सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी से प्रार्थना की कि मैं पहाड़, नदी, वृक्ष के बोझ से नहीं पापियों के अत्याचार से बोझिल हो गयी हूॅ तब भगवान मेरी आर्त पुकार शीघ्र कैसे सुनेंगे। ब्रह्माजी के सुझाव पर धरती ने गाय का रूप धारणकर परमात्मा से विनम्र प्रार्थना की। गाय सरलता, समता, प्रेम, उपकार की प्रतिमूर्ति है। बाबाजी ने कहा गाय चराने ही गोपाल धरती पर आये। भगवान राम ने भी गो चारण किया। गायों के संवर्धन तथा संरक्षण के लिये अनेक राक्षसों का वध किया। दूध, दही, घी, मक्खन भी खाया। कौशल प्रांत की एक कथा का वर्णन करते हुये बाबाजी ने कहा कि एक बार कौशल प्रदेश में बहने वाली चित्रोत्पला नदी सूख गयी। प्रजा में हाहाकार मच गया तब ऋषियों मुनियों की वेदध्वनि के साथ सोलह लाख गायों के पंचगव्य से चित्रोत्पला का अभिषेक किया गया जिससे इसमें जल की बाढ़ आ गयी। राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ में एक लाख गायों के दूध से रूद्राभिषेक तथा इसकी खीर से यज्ञ में आहुतियाॅ दी तब पुत्र जन्म का सुखद योग बना।